सीबीआई ने जिम कॉर्बेट टाइगर रिजर्व की पाखरो रेंज घोटाला मामले में दर्ज किया मुकदमा, पूर्व डीएफओ और रेंजर के घर, प्रतिष्ठानों और दफ्तरों में छापेमारी।
रामनगर ( नैनीताल )-उत्तराखंड के कार्बेट टाइगर क्षेत्र में अवैध पेड़ कटान समेत बड़े भ्रष्टाचार पर विजिलेंस की जांच और कार्रवाई के बाद सीबीआई ने भी मुकदमा दर्ज कर लिया है। मुकदमा दर्ज करने के बाद सीबीआइ की टीम ने आरोपी आईएफएस और रेजर के घर, प्रतिष्ठानों और दफ्तरों पर छापेमारी की है। सीबीआई की इस कार्रवाई से तय है कि जल्द कुछ बड़े अफसर और नेता भी कार्रवाई की जड़ में आ जाएंगे।
गौरतलब है कि जिम कॉर्बेट टाइगर रिजर्व की पाखरो रेंज घोटाला मामले में पिछले साल विजिलेंस के हल्द्वानी सेक्टर में मुकदमा दर्ज किया गया था। जांच के बाद विजिलेंस ने पिछले साल ही पहले वन रेंजर बृजबिहारी शर्मा को गिरफ्तार किया था। इसके बाद 24 दिसंबर 2022 को पूर्व डीएफओ किशनचंद को भी गिरफ्तार कर लिया गया था।
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सीबीआई ने जिम कॉर्बेट टाइगर रिजर्व की पाखरो रेंज में निर्माण घोटाले के मामले में मुकदमा दर्ज कर लिया है। पिछले दिनों हाईकोर्ट ने सीबीआई को इस मामले की जांच करने के आदेश दिए थे। मुकदमा दर्ज करने के बाद सीबीआई ने शुक्रवार को हरिद्वार में पूर्व डीएफओ किशनचंद के घर और देहरादून में पूर्व रेंजर बृज बिहारी शर्मा के घर छापे भी मारे।सूत्र बता रहे कि सीबीआई इस प्रकरण में और आरोपितों को भी नामजद कर सकती है। इस प्रकरण की पूर्व में हुई जांच में तत्कालीन वन मंत्री हरक सिंह रावत की भूमिका पर भी प्रश्न उठाए गए थे।
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इस दौरान वहां से बहुत से दस्तावेज सीबीआई ने कब्जे में लिए हैं। सीबीआई इस प्रकरण में और लोगों को भी नामजद कर सकती है। पिछले दिनों पूर्व वन मंत्री हरक सिंह रावत का नाम भी इस प्रकरण में सामने आया था। विश्व प्रसिद्ध जिम कार्बेट टाइगर रिजर्व की पाखरो रेंज के 106 हेक्टेयर वन क्षेत्र में टाइगर सफारी का निर्माण होना था।
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वर्ष 2019 में इसका निर्माण कार्य बिना वित्तीय स्वीकृति के शुरू कर दिया गया। पेड़ काटने और अवैध निर्माण की शिकायत मिलने पर राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण की टीम ने स्थलीय निरीक्षण किया था। इस दौरान अनियमितताएं सामने आईं। पता चला कि इन सब कार्यों में अधिकारियों ने ठेकेदारों की मिलीभगत से 215 करोड़ रुपये बर्बाद कर दिए।
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इस मामले में पिछले साल विजिलेंस के हल्द्वानी सेक्टर में मुकदमा दर्ज किया गया था। जांच के बाद विजिलेंस ने पिछले साल ही पहले बृजबिहारी शर्मा को गिरफ्तार किया था। इसके बाद 24 दिसंबर 2022 को पूर्व डीएफओ किशनचंद को भी गिरफ्तार कर लिया गया। विजिलेंस इस प्रकरण में आरोपियों के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराओं में चार्जशीट भी दाखिल कर चुकी थी।
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विजिलेंस ने 30 अगस्त को पूर्व वन मंत्री हरक सिंह रावत के परिवार से संबंधित देहरादून स्थित एक शिक्षण संस्थान और रायवाला के एक पेट्रोल पंप पर भी छापा मारा था। यहां से सरकारी जनरेटर बरामद किए गए थे। हरक सिंह का नाम आने से प्रदेश के राजनीतिक गलियारों में भी तमाम तरह की चर्चाएं शुरू हो गईं। इसी बीच हाईकोर्ट ने इस प्रकरण में सीबीआई से जांच कराने के आदेश दिए।
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सीबीआई ने विजिलेंस से जांच संबंधी दस्तावेज हासिल किए और अब इसमें मुकदमा दर्ज कर लिया। शुरुआती जांच में पूर्व डीएफओ किशनचंद और पूर्व रेंजर बृज बिहारी शर्मा को आरोपी बनाया है। इन दोनों पूर्व अधिकारियों के घर पर छापे भी मारे गए हैं।
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उल्लेखनीय है कि कॉर्बेट में टाइगर सफारी के लिए पेड़ों के अवैध कटान का मामला तब सामने आया था, जब राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण ने इस संबंध में मिली शिकायत की स्थलीय जांच की। साथ ही शिकायत को सही पाते हुए जिम्मेदार अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई की संस्तुति की। इस प्रकरण की अब तक कई एजेंसियां जांच कर चुकी हैं।
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आरोप ???? पाखरो रेंज में 215 करोड़ के कार्यों की समीक्षा के दौरान पता चला था कि टाइगर सफारी के नाम पर खर्च हुआ पैसा दूसरे काम के लिए था। इसे कमीशन और अन्य लालच में ठेकेदारों को आवंटित कर दिया।
????गड़बड़ी करने वाले अधिकारी इस बात को लेकर भी आश्वस्त थे कि उन्हें जो पैसा बाद में मिलेगा, उसे उसी मद में जमा कर दिया जाएगा। जिस जगहों पर सड़क, भवन और अन्य निर्माण कार्य हुए वह कोर सेंसिटिव जोन में आता है, यहां किसी भी तरह के निर्माण कार्य नहीं हो सकते हैं।
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????कालागढ़ रेंज के पूर्व डीएफओ किशनचंद ने निदेशक के आदेश को भी दरकिनार कर दिया था। बिना वित्तीय स्वीकृति के निर्माण कार्य की जानकारी मिलते ही कार्बेट पार्क के निदेशक ने रोक लगाने के निर्देश दिए थे।
????विजिलेंस की जांच में सामने आया कि पेड़ों का कटान भी बड़े पैमाने पर हुआ है। शासन ने निर्माण कार्य में आड़े आ रहे 163 पेड़ काटने की अनुमति दी थी, लेकिन वनाधिकारियों ने जेब भरने के लिए 163 के बजाय 6200 पेड़ों पर आरी चला दी।
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करोडों के घोटाले की चल रही जांच
ये बात सामने आई कि सफारी के लिए स्वीकृति से अधिक पेड़ों के कटान के साथ ही बड़े पैमाने पर बिना वित्तीय व प्रशासनिक स्वीकृति के निर्माण कराए गए। सुप्रीम कोर्ट की उच्चाधिकार प्राप्त समिति ने इस प्रकरण में तत्कालीन वन मंत्री हरक सिंह की भूमिका पर भी प्रश्न उठाते हुए उन्हें भी जिम्मेदार ठहराया था। भारतीय वन सर्वेक्षण की जांच में यहां छह हजार से ज्यादा पेड़ों के कटान की बात सामने आई थी। मामले में दो आएफएस भी निलंबित किए गए थे।
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Author: uttarakhandlive24
Harrish H Mehraa