Big Breking-उत्तराखंड त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव पर हाईकोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला,हाईकोर्ट ने पुनर्विचार याचिका खारिज की, दो जगह वोटर वाले चुनाव लड़ने के अयोग्य।

BIG-BREAKING-उत्तराखंड त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव पर हाईकोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला,हाईकोर्ट ने पुनर्विचार याचिका खारिज की, दो जगह वोटर वाले चुनाव लड़ने के अयोग्य।

 

उत्तराखंड त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव पर हाईकोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला,- राज्य निर्वाचन आयोग को HC से नहीं मिली राहत
– हाईकोर्ट ने फिर कहा पंचायतीराज एक्ट के मुताबिक चुनाव कराए आयोग
– 11 जुलाई के आदेश के खिलाफ चुनाव आयोग ने HC में फाइल की थी रिव्यू पिटिशन
– HC ने दो जगह वोटर होने वाले लोगों के नामांकन को नहीं माना था सही
– HC के आदेश से एक बार फिर मची खलबली
– HC ने नहीं लगाई है चुनाव पर कोई रोक
– HC ने साफ किया कोई भी पीड़ित शिकायत होने पर चुनाव के बाद दाखिल कर सकता है इलेक्शन पिटिशन

नैनीताल- उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर एक बार फिर हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा दायर पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने अपने 11 जुलाई के पूर्व आदेश को यथावत बनाए रखा है। कोर्ट ने स्पष्ट रूप से निर्देश दिया कि पंचायत चुनाव केवल उत्तराखंड पंचायतीराज अधिनियम के प्रावधानों के अनुरूप ही संपन्न कराए जाएं।

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Big Breking- उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर इस समय की बड़ी खबर, राज्य निर्वाचन आयोग ने सिंबल आवंटन पर लगाई रोक, सोमवार को हाई कोर्ट में होनी है सुनवाई।

निर्वाचन आयोग ने उन प्रत्याशियों के पक्ष में पुनर्विचार की मांग की थी, जिनके नाम दो अलग-अलग मतदाता सूचियों में दर्ज हैं। आयोग की यह दलील थी कि ऐसे प्रत्याशियों को चुनाव लड़ने से वंचित करना अनुचित होगा। लेकिन कोर्ट ने आयोग की इस याचिका को खारिज करते हुए दोहराया कि दोहरी मतदाता सूची में दर्ज व्यक्ति पंचायत चुनाव के लिए पात्र नहीं है।

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हालांकि, कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि चुनाव प्रक्रिया पर किसी प्रकार की रोक नहीं लगाई गई है। यदि कोई प्रत्याशी इस आदेश से स्वयं को प्रभावित मानता है, तो वह चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद निर्वाचन याचिका (election petition) दाखिल कर सकता है।

हाईकोर्ट के इस निर्णय को निर्वाचन प्रक्रिया में पारदर्शिता, वैधानिकता और लोकतांत्रिक मर्यादाओं की पुनर्पुष्टि के रूप में देखा जा रहा है। वहीं, राज्य निर्वाचन आयोग की याचिका खारिज होने से प्रशासनिक हलकों में खलबली मच गई है।

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पंचायत चुनाव पर रोक नहीं है: मामले की सुनवाई मुख्य न्यायधीश जी नरेंद्र और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ में हुई. उत्तराखंड निर्वाचन आयोग ने रविवार को हाईकोर्ट के समक्ष प्रार्थना पत्र देकर त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के सम्बंध में हाईकोर्ट द्वारा 11 जुलाई को जारी आदेश से चुनाव प्रक्रिया रुकने का उल्लेख करते हुए उक्त आदेश को ‘मॉडिफाई’ करने की मांग की गई थी।

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हाईकोर्ट ने राज्य निर्वाचन आयोग के सर्कुल पर लगाई थी रोक: बता दें कि 11 जुलाई को मुख्य न्यायधीश की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने चुनाव आयोग के 6 जुलाई को जिला निर्वाचन अधिकारियों को जारी सर्कुलर पर रोक लगा दी थी. आयोग ने इस सर्कुलर में कहा था कि जिन लोगों के नाम ग्राम पंचायत की मतदाता सूची में हैं, उन्हें मतदान करने या चुनाव लड़ने से न रोका जाए. जबकि उत्तराखंड पंचायती राज अधिनियम की धारा 9 के उपनियम 6 व 7 में उल्लेख है कि जिन मतदाताओं के नाम एक से अधिक मतदाता सूची (शहरी व ग्रामीण क्षेत्र) में हैं, तो वह मतदान करने या चुनाव लड़ने के योग्य नहीं होगा. इस आधार पर हाईकोर्ट ने राज्य चुनाव आयोग के सर्कुलर पर रोक लगा दी थी।

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आज आवंटित होने थे चुनाव चिन्ह: दूसरी ओर कई पंचायतों में शहरी क्षेत्र की मतदाता सूची में शामिल लोगों के नाम ग्रामीण मतदाता सूची में भी हैं और कई लोग चुनाव भी लड़ रहे हैं. जबकि वे पंचायत राज अधिनियम की धारा 9(6) व हाईकोर्ट के 11 जुलाई के आदेश से चुनाव नहीं लड़ सकते हैं. इससे आयोग के समक्ष चुनाव कराने या न कराने को लेकर भ्रम की स्थिति हो गई. क्योंकि अब सोमवार 14 जुलाई से चुनाव लड़ रहे प्रत्याशियों को चुनाव चिन्ह आवंटित किये जाने थे।

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पंचायत चुनाव 2025: आयोग को ओर से कहा गया है कि कोर्ट के आदेश से चुनाव प्रक्रिया रुक गई है, जबकि आयोग अब तक की प्रक्रिया में काफी संसाधन व्यय कर चुका है। हाईकोर्ट में दायर इस प्रार्थना पत्र के आधार पर चुनाव आयोग ने आज से बंटने वाले चुनाव चिन्हों के आवंटन पर अपराह्न दो बजे तक रोक लगा दी थी। आयोग ने इस सम्बंध में सभी जिलाधिकारियों को आदेश जारी किए थे।

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