हरिद्वार नगर निगम के बहुचर्चित 54 करोड़ के जमीन घोटाले में फंसे अधिकारियों की बड़ीं मुश्किलें,सरकार ने चार्जशीट की तैयारी की पूरी, अफसरों के लिए आसान नहीं होगा जवाब देना।
हरिद्वार नगर निगम के बहुचर्चित 54 करोड़ के भूमि घोटाले में अब कार्रवाई की रफ्तार तेज हो गई है। जल्द ही इस मामले में दो आईएएस, एक पीसीएस और आठ अन्य अधिकारियों व कर्मचारियों को चार्जशीट थमाई जाएगी। चार्जशीट की प्रक्रिया अंतिम चरण में है और अब सिर्फ औपचारिक मुहर बाकी है।
देहरादून: हरिद्वार नगर निगम जमीन घोटाले में फंसे अधिकारियों की मुश्किलें बढ़ने वाली है। क्योंकि इस मामले में जल्द ही चार्टशीट जारी होने जा रही है। मामले में तीन अधिकारियों को जहां कार्मिक विभाग आरोप पत्र सौंपेगा, तो वही बाकी आठ अधिकारी, कर्मचारियों को शहरी विकास विभाग द्वारा चार्जशीट दी जाएगी। खास बात यह है कि इसके लिए जरूरी कार्रवाही पूरी कर ली गई है और अब जल्द ही प्रकरण पर चार्ज शीट देने की तैयारी है।
हरिद्वार भूमि घोटाले को लेकर कार्रवाही आगे बढ़ती हुई नजर आ रही है। इस मामले में जहां प्राथमिक जांच पहले ही की जा चुकी थी, तो वहीं अब आरोपी अधिकारी और कर्मचारियों को भी आरोप पत्र सौंपने की तैयारी हो रही है। आरोप पत्र को लेकर अलग-अलग स्तर पर जरूरी कार्रवाही को पूरा किया जा रहा है और ऐसे में उम्मीद लगाई जा रही है कि जल्द ही इन सभी को चार्जशीट सौंपी जाएगी।
कार्मिक और शहरी विकास विभाग देगा आरोप पत्र: भूमि घोटाले प्रकरण पर कार्मिक विभाग और शहरी विकास विभाग अपने-अपने स्तर पर आरोप पत्र देने से जुड़ी जरूरी औपचारिकताओं को पूरा कर रहा है. एक तरफ बड़े अधिकारियों को कार्मिक विभाग नियुक्ति प्राधिकरण होने के चलते आरोप पत्र सौंपेगा, तो दूसरी तरह शहरी विकास विभाग से जुड़े अन्य अधिकारी कर्मचारियों को विभाग के स्तर पर ही चार्जसीट दी जाएगी।
दो आईएएस और एक पीसीएस समेत 8 कर्मी हैं आरोपी: हरिद्वार भूमि घोटाले में कुल 11 लोगों को आरोपी बनाया गया है, इसमें मुख्य रूप से देखे तो दो आईएएस अधिकारी और एक पीसीएस अधिकारी शामिल हैं. IAS कर्मेंद्र सिंह, वरुण चौधरी और पीसीएस अजयवीर को आरोपी बनाया गया है, जिन्हें कार्मिक विभाग द्वारा आरोप पत्र सोपा जाएगा. इस मामले में इन तीनों अधिकारियों को आरोप पत्र सौंपने के लिए मुख्यमंत्री कार्यालय से अंतिम अनुमोदन लिया जा रहा है।
वहीं, दूसरी तरफ आरोप पत्र सौंपने के बाद इन अधिकारियों को आरोप पत्र के आधार पर दिए गए बिंदुओं के अनुसार इसका जवाब दाखिल करना होगा. सरकार को अधिकारियों का जवाब आने के बाद जांच अधिकारी नामित किया जाएगा. क्योंकि इस मामले में DM स्तर के अफसर को आरोपी बनाया गया है तो जांच अधिकारी इसे दो ग्रेड ऊपर यानी प्रमुख सचिव स्तर का हो सकता है. हालांकि किसी सीनियर सचिव को भी जांच का जिम्मा दिया जा सकता है।
जानिए पूरा मामला: यह मामला 54 करोड़ की भूमि खरीद का है, जिसके लिए न तो शासन से कोई मंजूरी ली गई थी और न ही जमीन खरीद से पहले बनाई जाने वाली विभिन्न समितियों का नियमानुसार अनुमोदन लिया गया था. शायद यही कारण है कि आरोप पत्र में इन अधिकारियों को संतोष जनक जवाब देना काफी मुश्किल होगा।
इस मामले पर मुख्य सचिव आनंद वर्धन से बात की तो उन्होंने कहा कि हरिद्वार भूमि घोटाले मामले में अधिकारियों को आरोप पत्र दिए जाने से जुड़ी फाइल उच्च स्तर पर विचार के लिए प्रस्तुत की जा चुकी है और जल्द ही इस पर निर्णय ले लिया जाएगा।
तीन जून को कुल सात अफसरों को निलंबित किया गया था:
कर्मेन्द्र सिंह – जिलाधिकारी और तत्कालीन प्रशासक नगर निगम हरिद्वार (निलंबित)
वरुण चौधरी – तत्कालीन नगर आयुक्त, नगर निगम हरिद्वार (निलंबित)
अजयवीर सिंह- तत्कालीन, उपजिलाधिकारी हरिद्वार (निलंबित)
निकिता बिष्ट – वरिष्ठ वित्त अधिकारी, नगर निगम हरिद्वार (निलंबित)
विक्की – वरिष्ठ वैयक्तिक सहायक (निलंबित)
राजेश कुमार – रजिस्ट्रार कानूनगो, तहसील हरिद्वार (निलंबित)
कमलदास –मुख्य प्रशासनिक अधिकारी, तहसील हरिद्वार (निलंबित)
पूर्व में इन अफसरों पर हुई कार्रवाई:
रविंद्र कुमार दयाल- प्रभारी सहायक नगर आयुक्त
(सेवा समाप्त)
आनंद सिंह मिश्रवाण- प्रभारी अधिशासी अभियंता (निलंबित)
लक्ष्मी कांत भट्ट्- कर एवं राजस्व अधीक्षक (निलंबित)
दिनेश चंद्र कांडपाल- अवर अभियंता (निलंबित)
वेदपाल- सम्पत्ति लिपिक
(सेवा विस्तार समाप्त)