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आतंक का पर्याय बन चुके खूंखार तेंदुए को पकड़ने के लिए वन विभाग अब ले रहा है। हनी ट्रैप पद्धति का सहारा

आतंक का पर्याय बन चुके खूंखार तेंदुए को पकड़ने के लिए वन विभाग अब ले रहा है। हनी ट्रैप पद्धति का सहारा

चंपावत। टनकपुर पिथौरागढ़ राष्ट्रीय राज मार्ग पर टनकपुर-चम्पावत राष्ट्रीय राजमार्ग पर सूखीढांग से लेकर आठवां मील तक के क्षेत्र में सक्रिय गुलदार खूंखार हो चुका है। सूखीढांग क्षेत्र में चिंता का सबब बने खूंखार तेंदुए को दबोचने के लिए ट्रैंकुलाइजर गन का उपयोग कामयाब नहीं रहा है। वन विभाग ने तेंदुए को पकड़ने के लिए अब हनी ट्रैप पद्धति का सहारा लिया है। भारतीय वन्य जीव संस्थान के सेवानिवृत्त निदेशक डॉ. जीएस रावत के परामर्श पर विभाग अब तेंदुए के तरल मूत्र (लिक्विड यूरिन) और मूत्र वाले स्थान की मिट्टी का सहारा ले रहा है। इस तरल मूत्र को नैनीताल के चिड़ियाघर से मंगाया गया है।

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गौरतलब है कि सूखीढांग के गजार गांव में तेंदुए ने बीती दो जुलाई को एक भोजनमाता को मार डाला था। इसके बाद से तेंदुआ राष्ट्रीय राजमार्ग से गुजरने वाले 17 बाइक सवारों को जख्मी कर चुका है। तब से वन विभाग तेंदुए को पकड़ने के लिए कई प्रयास कर चुका है। 26 सितंबर से ट्रैंकुलाइज करने वाली टीम को तैनात किया गया। एक गन से एक बार इंजेक्शन लगने के बावजूद तेंदुआ हत्थे नहीं चढ़ सका। लंबे वक्त से हाथ खाली रहने पर वन विभाग ने अब नए तरीके को आजमाया। इसके लिए चिड़ियाघर से लाए गए मादा तेंदुए के मूत्र और उसके पास की मिट्टी सूखीढांग में लगाए गए दोनों पिंजरों के पास रख दी गई है।

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वही मामले में प्रभागीय वनाधिकारी चम्पावत आर सी कांडपाल का कहना है कि नर तेंदुआ होने की पुष्टि के बाद मादा तेंदुए का मूत्र मंगाया गया। इस पूरे क्षेत्र में दो पिंजरों के अलावा 15 कैमरे लगाए गए हैं। वहीं ट्रैंकुलाइज करने वाली टीम भी आठवें मील में तैनात है। सूखीढांग के पास तैनात वन कर्मी एनएच पर दोपहिया वाहन से गुजरने वालों को समूह में जाने के लिए अपील कर रहे हैं। इसके अलावा बस्टिया में भी वन कर्मियों की एक टीम तैनात की गई है। फ़िलहाल राहगीरों को सुरक्षा की दृष्टि से दो पहिया वाहन चालकों को एक झुंड में कानबाई से साथ चलने के लिए वन विभाग के कर्मचारियों के द्वारा आग्रह किया जा रहा है।

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uttarakhandlive24
Author: uttarakhandlive24

Harrish H Mehraa

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