उत्तराखंड -अक्टूबर में निकाय चुनाव का रास्ता हुआ साफ, ओबीसी आरक्षण में होगा बदलाव,देखिये ऐसे बदलेगा आरक्षण का गणित

उत्तराखंड -अक्टूबर में निकाय चुनाव का रास्ता हुआ साफ, ओबीसी आरक्षण में होगा बदलाव,देखिये ऐसे बदलेगा आरक्षण का गणित

 

उत्तराखंड में अक्तूबर में निकाय चुनाव का रास्ता साफ हो गया है। धामी कैबिनेट ने निकायों में ओबीसी आरक्षण में बदलाव को लेकर एक्ट व नियमावली में संशोधन के विधेयकों पर मुहर लगा दी है।अब सभी निकायों में एससी/एसटी की तर्ज पर आबादी के हिसाब से ओबीसी को मिलेगा। कहीं आरक्षण 14 प्रतिशत से अधिक हो जाएगा, तो कहीं कम

 

देहरादून। उत्तराखंड में अक्तूबर में निकाय चुनाव का रास्ता साफ हो गया है। धामी कैबिनेट ने निकायों में ओबीसी आरक्षण में बदलाव को लेकर एक्ट व नियमावली में संशोधन के विधेयकों पर मुहर लगा दी है।अब सभी निकायों में एससी/एसटी की तर्ज पर आबादी के हिसाब से ओबीसी को प्रतिनिधित्व मिलेगा। कहीं आरक्षण 14 प्रतिशत से अधिक हो जाएगा, तो कहीं कम हो जाएगा। कैबिनेट ने मंगलवार को उत्तराखंड (उत्तर प्रदेश नगर निगम अधिनियम, 1959 (संशोधन) विधेयक 2024 व उत्तराखंड(उत्तर प्रदेश नगर पालिका अधिनियम, 1916 (संशोधन) विधेयक 2024 को विधानसभा सत्र में रखने पर मुहर लगा दी है।

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इसके बाद सभी नगर निकायों में एकल सदस्यीय समर्पित आयोग की सिफारिश के तहत ओबीसी आरक्षण लागू किया जाएगा। आरक्षण लागू करने को शहरी विकास विभाग सभी जिलाधिकारियों को रिपोर्ट भेजेगा। इस रिपोर्ट पर जिलाधिकारी आपत्तियां मांगने के बाद अंतिम आरक्षण रिपोर्ट शासन को भेजेंगे। इसके बाद राज्य निर्वाचन आयोग चुनाव की प्रक्रिया शुरू करेगा।

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ऐसे बदलेगा आरक्षण का गणित
एकल सदस्यीय समर्पित आयोग की सिफारिशों के तहत सभी निकायों में मेयर, डिप्टी मेयर, चेयरमैन, पालिकाध्यक्ष, नगर पंचायत अध्यक्ष से लेकर पार्षद, सभासद, वार्ड सदस्य तक की सीटों में इजाफा होगा। निगमों में मेयर का आरक्षण 14 से बढ़कर 18.05 प्रतिशत, पालिकाओं में अध्यक्ष का आरक्षण 14 से बढ़कर 28.10 और पंचायतों में अध्यक्ष का आरक्षण 14 से बढ़कर 38.97 प्रतिशत हो सकता है। कुल सीटों के मुकाबले आरक्षित सीटों की संख्या 50 प्रतिशत से अधिक नहीं होगी।

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निकायों में ओबीसी आरक्षण 14 प्रतिशत से बढ़ेगा। नगर निगम में ऊधमसिंह नगर के रुद्रपुर में 19.03, काशीपुर में 38.62 प्रतिशत, हरिद्वार जिले के हरिद्वार में 20.90 और रुड़की में 36.20 प्रतिशत, नैनीताल के हल्द्वानी में 18.42 प्रतिशत आरक्षण होगा। मैदानी जिलों में केवल देहरादून में 14 से कम यानी 11.92 और ऋषिकेश में 9.06 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण की संस्तुति की गई है। पर्वतीय जिले पौड़ी के कोटद्वार में 6.52 और श्रीनगर में 5.51 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण की सिफारिश है।

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पालिकाओं के हिसाब से देखें तो देहरादून की विकासनगर में 22.93, डोईवाला में 34.82, मसूरी में 12.23 प्रतिशत, हरिद्वार की मंगलौर में 67.73, लक्सर में 36.04, शिवालिकनगर में 14.91 प्रतिशत, ऊधमसिंह नगर की गदरपुर में 37.85, जसपुर में 63.52, बाजपुर में 32.59, किच्छा में 46.05, सितारगंज में 49.11, खटीमा में 34.69, महुआखेड़गंज में 62.41 और नगला में 26.16 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण की सिफारिश की गई है।

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चमोली के गौचर, कर्णप्रयाग, टिहरी के देवप्रयाग, पौड़ी के पौड़ी व दुगड्डा, पिथौरागढ़ के पिथौरागढ़, डीडीहाट, गंगोलीहाट, बेरीनाग, चंपावत जिले के चंपावत, लोहाघाट, अल्मोड़ा जिले के अल्मोड़ा, रानीखेत, बागेश्वर जिले के बागेश्वर, नैनीताल जिले के नैनीताल, भवाली पालिकाओं में ओबीसी का आरक्षण 10 प्रतिशत से काफी कम है। सिफारिश के हिसाब से आरक्षण लागू होगा, बशर्ते एससी, एसटी व ओबीसी का आरक्षण कुल मिलाकर 50 प्रतिशत तक ही रहे।

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