हाईकोर्ट को गढ़वाल में शिफ्ट की सुगबुगाहट पर खटीमा के विभिन्न संगठनों के विभिन्न लोगो ने एकत्र होकर एसडीएम के माध्यम से मुख्यमंत्री धामी को एक ज्ञापन भेजा गया।
हाईकोर्ट शिफ्ट किए जाने की सुगबुगाहट पर सामाजिक संगठन हुए मुखर।खटीमा तहसील में सामूहिक संगठनों के विभिन्न लोगो ने एकत्र होकर उपजिलाधिकारी के माध्यम से उत्तराखंड मुख्यमंत्री को एक ज्ञापन भेजा गया।
खटीमा ( उधम सिंह नगर ) खटीमा तहसील में सामूहिक संगठनों के विभिन्न लोगो ने एकत्र होकर उपजिलाधिकारी के माध्यम से उत्तराखंड मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजा।कुमाऊं से हाईकोर्ट शिफ्ट किए जाने की सुगबुगाहट पर वकीलों, सामाजिक संगठनों,व्यापार मंडल, राजनीतिक चिंतकों के बाद राज्य आंदोलनकारी भी मुखर हो गए हैं। कुमाऊं से पहले ही कई बड़े संस्थान और निदेशालय शिफ्ट हो चुके हैं। ऐसे में अगर हाईकोर्ट भी गढ़वाल में शिफ्ट हो जाएगा तो कुमाऊं के पास क्या बचेगा। ये बड़ा सवाल है।
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कुमाऊं से हाईकोर्ट शिफ्ट किए जाने की सुगबुगाहट पर वकीलों, सामाजिक, राजनीतिक चिंतकों के बाद राज्य आंदोलनकारी भी मुखर हो गए हैं। उनका साफ कहना है कि हाईकोर्ट के बहाने लोगों को कुमाऊं और गढ़वाल में बांटने की साजिश हो रही है। कुमाऊं से पहले ही कई बड़े संस्थान और निदेशालय, उद्यान निदेशालय शिफ्ट हो चुके हैं।
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श्रम, सेवायोजन, उच्चशिक्षा निदेशालयों के उच्चाधिकारी देहरादून में बैठकर काम कर रहे हैं। एम्स गढ़वाल में स्थापित किया गया है। हाईकोर्ट शिफ्ट होने पर कुमाऊं में क्या बचेगा। पहाड़ों के विकास के लिए पहाड़ी राज्य बना लेकिन आज पहाड़ के लोग खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं। राज्य आंदोलनकारियों का कहना है कि इसी तरह कुमाऊं की उपेक्षा होती रही तो कुमाऊं प्रदेश की मांग भी उठ सकती है, इसमें कोई संशय नहीं है।
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ऐसे में हाईकोर्ट शिफ्ट किए जाने की सुगबुगाहट पर सयुक्त रूप से खटीमा अधिवक्ता एसोशियसन ,राज्य निर्माण आंदोलनकारी संगठन,भूतपूर्व सैनिक समिति,व्यापार मंडल खटीमा,उत्तराखंड गवरमेंट पेंशनर समिति,कुमाऊँ संस्कृति उत्थान मंच,पूर्व छात्र संघ पदाधिकारियों ने संयुक्त रूप से एकत्र होकर उपजिलाधिकारी रविन्द्र सिंह बिष्ट के माध्यम से मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन प्रेषित कर अपना विरोध दर्ज किया ।
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ज्ञापन में सभी संयुक्त संगठनों ने उत्तराखंड मुख्यमंत्री से अनुरोध किया है कि हाईकोर्ट संबंधित निर्णय मामला जनहित से जुड़ा हुआ है अतः सीएम मामले को संज्ञान में लेते हुए कोई समाधान निकाले पूर्व से ही हाईकोर्ट नैनीताल में उत्तराखंड स्थापनकाल से ही चल रहा था उसको गौलापार स्थान्तरित कर दिया गया जो कि न्यायसंगत है।
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उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी दया किशन कलौनी ने कहा कि कुमाऊँ में पूर्व से ही हाईकोर्ट है अतः ऐसे में जनमत संग्रह कराना उत्तराखंड को गढ़वाल,कुमाऊँ बांटना जैसा है जबकि उत्तराखंड के स्थापना की लड़ाई सभी लोगो ने मिलकर साथ लड़ी थी।
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ज्ञापन देने वाले खटीमा बार एसोशियन के अध्यक्ष सूरज सिंह राणा, एडवोकेट के डी भट्ट,हरीश जोशी ,इकबाल अहमद ,राम वचन, दया किशन कालोनी, संजय खोलिया,अमित अग्रवाल, ,शिव शंकर भाटिया, सुरेन्द्र कुमार, बीएस मेहता,अजय बिष्ट,ठाकुर सिंह खाती, भुवन भट्ट,,भूतपूर्व सैनिक संगठन के अध्यक्ष गंभीर सिंह धामी, भट्ट,व्यापार मंडल अध्यक्ष गौरी शंकर पांडेय,हिमांशु अग्रवाल,गौरव अग्रवाल ,धन सिंह सामन्त, अमित, सुमित गुम्बर, सतीश भट्ट, अजय सिंह, अनिल चंद, शशांक बिष्ट, जानकी गोस्वामी, इलियास सिद्दीकी, आदि मौजूद रहे।
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Author: uttarakhandlive24
Harrish H Mehraa