मुख्यमंत्री धामी ने 1 सितंबर 1994 खटीमा गोलीकांड की 31वीं वर्षगांठ पर शहीदों को दी श्रद्धांजलि, शहीदों के परिजनों को अंगवस्त्र व उपहार देकर किया सम्मानित।
खटीमा, (01 सितम्बर 2025) मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सोमवार को खटीमा में उत्तराखण्ड राज्य आन्दोलन के दौरान शहीद हुए आन्दोलनकारियों की स्मृति में आयोजित श्रद्धांजलि कार्यक्रम में प्रतिभाग किया। इस अवसर पर उन्होंने शहीद राज्य आन्दोलनकारियों को श्रद्धा सुमन अर्पित किये और उनके परिजन नानक सिंह, नरेंद्र चंद्र,जगत सिंह, अनिल भट्ट, शरीफ अहमद को अंगवस्त्र व उपहार देकर सम्मानित किया।
मुख्यमत्री ने कहा कि आज का दिन उत्तराखंड राज्य आन्दोलन के दौरान खटीमा गोलीकांड में अपना सर्वस्व न्योछावर करने वाले अमर बलिदानियों भगवान सिंह सिरौला , प्रताप सिंह , रामपाल, सलीम अहमद, गोपीचंद, धर्मानन्द भट्ट और परमजीत सिंह को स्मरण करने का दिन है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड का हर नागरिक इन सभी वीर सपूतों का सदैव ऋणी रहेगा। राज्य आन्दोलन के अपने अनुभवों को याद करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि कि इस घटना ने लोगों को उत्तराखंड के अधिकारों की लड़ाई को आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित किया। हम सभी मिलकर उनके सपनों के उत्तराखंड का निर्माण करें, यही उनके लिए हमारी सबसे बड़ी श्रद्धांजलि होगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार राज्य आंदोलनकारियों के आदर्शों और उनके सपनों को साकार करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। राज्य आंदोलनकारियों और उनके आश्रितों के लिए राज्य सरकार की नौकरियों में 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण लागू किया है। शहीद आंदोलनकारियों के परिवारों के लिए 3 हजार रुपये मासिक पेंशन की सुविधा भी शुरू की है, साथ ही घायल और जेल गए आंदोलनकारियों को 6000 रुपये और सक्रिय आंदोलनकारियों को 4500 रुपये प्रतिमाह पेंशन दी जा रही है। नए कानून के अंतर्गत चिह्नित आंदोलनकारियों की परित्यक्ता, विधवा और तलाकशुदा पुत्रियों को भी इस आरक्षण का लाभ मिल सकेगा। चिन्हित राज्य आंदोलनकारियों को पहचान पत्र जारी करने के साथ ही 93 आंदोलनकारियों को राजकीय सेवा में सेवायोजित भी किया है। आंदोलनकारियों को सरकारी बसों में निःशुल्क यात्रा की सुविधा भी उपलब्ध कराई जा रही है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड के आंदोलन में नारी शक्ति की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण रही है, उन्होंने आंदोलन में बढ़ चढ़कर भाग लिया। राज्य निर्माण में मातृशक्ति की भूमिका को देखते हुए ही राज्य सरकार ने राज्य की महिलाओं के लिए सरकारी नौकरी में 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण लागू किया गया है। राज्य के समग्र विकास के साथ ही प्रदेश के हित में कई ऐतिहासिक निर्णय लिए हैं। उत्तराखंड ने देश में सबसे पहले “समान नागरिक संहिता” को लागू किया है। देश का सबसे प्रभावी नकल विरोधी कानून लागू किया है, जिसके बाद लगभग 24 हजार से अधिक युवाओं ने सरकारी नौकरियां पाने में सफलता प्राप्त की है।
सरकार देवभूमि उत्तराखंड की डेमोग्राफी को बचाए रखने के लिए पूर्ण प्रतिबद्धता के साथ निरंतर कार्य कर रही है। प्रदेश में सख्त धर्मांतरण विरोधी और दंगा विरोधी कानूनों लागू किया गया है। 7 हजार एकड़ से अधिक सरकारी भूमि को अतिक्रमण से मुक्त कराया है। इस मौके पर मुख्यमंत्री ने उपस्थित जनसमुदाय को हिमालय बचाओ अभियान की शपथ भी दिलाई। उन्होंने कहा कि हिमालय के पर्यावरण की रक्षा करना हम सबकी जिम्मेदारी है।
खटीमा विधायक भुवन कापड़ी ने मुख्यमंत्री धामी से वंचित 253 राज्य आंदोलनकारियों को चिह्नित करने की मांग की। कापड़ी ने कहा कि वंचित 253 राज्य आंदोलनकारी चिह्नित राज्य आंदोलनकारियों के सामान ही अर्हता पूर्ण करते हैं। राज्य आंदोलनकारियों को 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण देने और महिलाओं को सरकारी नौकरी में आरक्षण देने पर लोगों ने मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त किया।
इस दौरान कार्यक्रम में सांसद अजय भट्ट ने भी सम्बोधित किया।
इस अवसर पर सांसद अजय भट्ट ,खटीमा विधायक भुवन कापडी, नानकमत्ता विधायक गोपाल सिंह राणा, नगरपालिका अध्यक्ष रमेश चंद जोशी, जिला पंचायत अध्यक्ष अजय मौर्य, ब्लॉक प्रमुख सरिता राणा, दर्जा राज्य मंत्री डॉ.अनिल कपूर डब्बू, सुभाष बर्थवाल, फरजाना बेगम, मोहन पाठक हल्द्वानी , कैलाश तिवारी रानीखेत,नन्दन सिंह खड़ायत , कमलेंद्र सेमवाल ,नरेश चंद शहीद गोपी चंद के परिजन, गंभीर सिंह धामी, भगवान जोशी वरिष्ठ राज्य आंदोलन कारी, हरीश जोशी ,किशन सिंह बिष्ट, किशोर सिंह राणा वरिष्ठ राज्य आंदोलन कारी, भुवन भट्ट, किशन सिंह बिष्ट , अमित पांडेय, जगदीश पांडेय ,शिव शंकर भाटिया, हिमांशु बिष्ट, रमेश चंद्र जोशी, संतोष अग्रवाल, राहुल सक्सेना, जानकी गोस्वामी, घनश्याम अग्रवाल, सतीश गोयल, विशाल गोयल, अशोक बत्रा ,रविश भटनागर, जिलाधिकारी नितिन सिंह भदौरिया, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक मणिकांत मिश्रा, उपाध्यक्ष जिला विकास प्राधिकरण जय किशन, एडीएम पंकज उपाध्याय सहित अनेक जनप्रतिनिधि, राज्य आंदोलनकारी एवं जनता मौजूद थी।
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