थारू राजकीय इंटर कॉलेज खटीमा में साहित्य अकादमी द्वारा महामना मदन मोहन मालवीय और भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई के जयंती पर कवि गोष्ठी का किया आयोजन।

थारू राजकीय इंटर कॉलेज खटीमा में साहित्य अकादमी द्वारा महामना मदन मोहन मालवीय और भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई के जयंती पर कवि गोष्ठी का किया आयोजन।

खटीमा,(उधम सिंह नगर) भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी व महामना मदन मोहन मालवीय के जयंती पर सीमान्त खटीमा के कवियों साहित्यकारों ने थारू राजकीय इंटर कॉलेज खटीमा के अजीम प्रेमजी फाउंडेशन के सभागार में साहित्य अकादमी खटीमा के माध्यम से कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया।  देश के पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न पंडित अटल बिहारी वाजपेई जी एक राजनेता के साथ देश के प्रख्यात कवियों में भी शुमार रहे।

उनके जन्मदिन के अवसर पर साहित्य अकादमी के तत्वाधान में शिक्षाविद साहित्यकार रावेंद्र कुमार “रवि” ने मुख्य आयोजनकर्ता के रूप में वरिष्ट साहित्यकार डॉ महेंद्र प्रताप पांडे के निर्देशन में काव्य गोष्ठी का आयोजन कर साहित्य रसधार रूप अटल जी को श्रद्धांजलि अर्पित की।इस अवसर पर महामना मदन मोहन मालवीय जी को भी उनके जन्मदिन के अवसर पर काव्य गोष्ठी में एकत्र हुए प्रमुख साहित्यकार,कवियों शायरों द्वारा स्मरण किया गया।

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छंदों पर आधारित इस कवि गोष्ठी में अनेक मुद्दों पर कविताएं प्रस्तुत की गई ।दीपक फुलेरा बेबाक ने “दौरे मोहब्बत का किस्सा मैं सुनाऊंगा, महफिल में यारों को सच मैं बताऊंगा , सुनाया तो वही शांति देवी “शांति”ने अपने दोहों से “विकट विनायक बुद्धि से रखो हमारी लाज, तेरे पूजन से बने सकल सुमंगल काज ” कह करके कार्यक्रम में चार चांद लगा दिए। रामचंद्र प्रेमी “दद्दा” ने “जन्म हीरा खोई दियो रे , अब काहे पछताव” तो आकाश प्रभाकर ने “मर्यादाओं के पुरुष माना जाना जिन्हें सदा, पहचान देश की बनाने वाले राम है ” कहकर खूब वाहवाही लूटी।

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हेमा जोशी परू ने अपने मधुरिम गीत “कैसे समझाऊं तुम्हें कैसे बतलाऊं तुम्हें, मैं यह जो तराने गुनती हूं ,सुनाकर तालियां बटोरी।नूर निशा ने अपनी बाल कविताओं से “जब तितली फूलों पर डोले, तोता उससे टैटू बोले” कह कर एक नई दिशा दी तो वहीं। हाजी डॉक्टर इलियास सिद्दीकी ने “नशेमन फिर बनाऊंगा चमन में, मुझे बरक ए तपा का का गम नहीं है”।

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राम रतन यादव रतन ने अपने शृंगारिक कविता” कह न सके कुछ अधर अधखुले ,मन के भाव रह गए मन में ” सुना कर गुदगुदी पैदा की ।  त्रिलोचन जोशी “टीसी गुरु” ने “आया जाड़ा झूमकर,ठंडक लाई भोर” सुना कर अपने विचार व्यक्त किया । वहीं बसंती सामंत ने “क्या लिखूं प्रियतम तुमको,कोई पुराना गीत लिखूं या तुमको अपना मीत लिखूं” सुनाया तो वहीं तुलसी बिष्ट ने “धूप से सुबह सलोनी और खुशनुमा है शाम, आज दिन पर हुई कुछ यूं मेहरबान है शाम” जैसी गजल सुनाई।तरुण सकलानी “सरल” ने “मैया तेरा कान्हा मां हरसाए “कह कर वातावरण को भजनमय कर दिया तो कैलाश पांडे ने संयोग श्रृंगार पर गीत प्रस्तुत किया।

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अमीर अहमद अमीर ने ” उसकी आंखों में नूर है शाकी,,तो रावेंद्र कुमार रवि ने” फरर फरर बढ़े गेहूं,मन में फूले फुलका सुनाकर बचपन की यादों को ताजा कर दिया।

कार्यक्रम का संचालन कर रहे महेंद्र प्रताप पांडे नंद ने भूमंडलीय ताप वृद्धि पर चिंता जताते हुए कहा कि “कैसे तुम पर प्यार लुटाऊं मुश्किल दिन है रात ,जाने कहां गई बरसात ,पूछे हरदम मोर गुजरिया”सुनाकर चिंतन को मजबूर कर दिया।

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कार्यक्रम के अध्यक्ष रामनारायण वर्मा ने कहा कि साहित्य अकादमी खटीमा के द्वारा 22 कवियों और शायरों ने अपने गीत गजल और कविताओं से समाज को नई दिशा देने का प्रयास किया है और साहित्य अकादमी परिवार का यह कार्य बहुत ही सराहनीय है साहित्य समाज का दर्पण है और कवियों ने समाज की दशा का व्यापक चित्रण किया है।

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इस अवसर पर शायर तकी हनफी, अमीर अहमद “अमीर” नूर मोहम्मद “नूर” शहजादा अबसार सिद्दीकी, आलोक सिंह ने भी अपनी कविताओं और गजलों को पेश किया।

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काव्य गोष्ठी कार्यक्रम के अध्यक्ष प्रधानाचार्य रामनारायण वर्मा ने कहा कि साहित्य अकादमी खटीमा के द्वारा 22 कवियों और शायरों ने अपने गीत गजल और कविताओं से समाज को नई दिशा देने का प्रयास किया है और साहित्य अकादमी परिवार का यह कार्य बहुत ही सराहनीय है। साहित्य समाज का दर्पण है और कवियों ने समाज की दशा का व्यापक चित्रण किया है।उन्होंने इस अवसर पर सभी कवियों शायरो के प्रस्तुति करण की जमकर प्रशंसा की।काव्य गोष्ठी के समापन पर महामना मदन मोहन मालवीय व भारत रत्न पंडित अटल बिहारी बाजपेई जी को नमन कर फिर अगली काव्य चौपाल पर मिलने के वादे के साथ सभी कवियों ने कार्यक्रम का समापन किया।

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