मुख्यमंत्री धामी ने खटीमा में की धान रोपाई, किसानों के श्रम को किया नमन,उत्तराखंड की समृद्ध सांस्कृतिक परम्परा “हुड़किया बौल” के माध्यम से भूमि के देवता भूमियां, पानी के देवता इंद्र, छाया के देव मेघ की वंदना की।

मुख्यमंत्री धामी ने खटीमा में की धान रोपाई, किसानों के श्रम को किया नमन,उत्तराखंड की समृद्ध सांस्कृतिक परम्परा “हुड़किया बौल” के माध्यम से भूमि के देवता भूमियां, पानी के देवता इंद्र, छाया के देव मेघ की वंदना की।

 

खटीमा के नगरा तराई में अपने खेत में धान की रोपाई कर किसानों के श्रम, त्याग और समर्पण को अनुभव कर पुराने दिनों का स्मरण किया। अन्नदाता न केवल हमारी अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं बल्कि संस्कृति और परंपरा के संवाहक भी हैं।

इस अवसर पर उत्तराखंड की समृद्ध सांस्कृतिक परम्परा “हुड़किया बौल” के माध्यम से भूमि के देवता भूमियां, पानी के देवता इंद्र, छाया के देव मेघ की वंदना भी की।

 

नगरा तराई, खटीमा (उत्तराखंड), 5 जुलाई 2025 –
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शनिवार को खटीमा के नगरा तराई क्षेत्र में अपने पैतृक खेत में पहुंचकर धान की रोपाई की। पारंपरिक अंदाज़ में खेत में उतरकर मुख्यमंत्री ने एक ओर जहां अपने गांव और अतीत से जुड़ाव का भाव दर्शाया, वहीं दूसरी ओर उन्होंने अन्नदाताओं के कठिन परिश्रम, समर्पण और त्याग को प्रणाम करते हुए उन्हें देश की रीढ़ बताया।

मुख्यमंत्री ने कहा, “धान की रोपाई करते हुए अपने बचपन के दिन और खेती से जुड़ी यादें ताजा हो गईं। हमारे किसान न केवल अन्नदाता हैं, बल्कि हमारी परंपराओं, संस्कृति और ग्रामीण जीवन के आधार स्तंभ भी हैं।” उन्होंने किसानों के साथ समय बिताकर उनकी समस्याओं और जरूरतों को भी समझने का प्रयास किया।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने उत्तराखंड की सांस्कृतिक पहचान “हुड़किया बौल” का गायन कर भूमियां देवता, इंद्र देव और मेघ देव की वंदना की। इस सांस्कृतिक प्रस्तुति ने वहां मौजूद ग्रामीणों और कृषकों को भावनात्मक रूप से जोड़ते हुए स्थानीय लोक संस्कृति के प्रति मुख्यमंत्री के सम्मान को दर्शाया।

मुख्यमंत्री धामी की यह पहल न केवल किसानों के सम्मान में एक प्रतीकात्मक कार्य थी, बल्कि यह उत्तराखंड की ग्रामीण जीवनशैली, पारंपरिक कृषि और लोकसंस्कृति के संरक्षण को भी बढ़ावा देने की दिशा में एक प्रेरक प्रयास के रूप में देखी जा रही है।

क्षेत्रीय जनता और कृषक समुदाय ने मुख्यमंत्री के इस gesture को अत्यंत सराहनीय और आत्मीय बताया, जिससे ग्रामीण जनजीवन के साथ शासन का सीधा संवाद और जुड़ाव और अधिक सशक्त हुआ है।

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