“मेरी पहली कविता” पर कवि गोष्ठी का आयोजन थारू राजकीय इंटर कॉलेज के संस्था कार्यालय में आयोजित किया।सीमांत क्षेत्र के प्रख्यात कवियों एक मंच पर।
खटीमा, अजीम प्रेमजी फाउंडेशन खटीमा द्वारा *मेरी पहली कविता* विषय पर कवि गोष्ठी का आयोजन थारू राजकीय इंटर कॉलेज के संस्था कार्यालय में आयोजित किया गया जिस का संचालन महेंद्र प्रताप पांडेय ने किया। अध्यक्षता शिव भगवान मिश्र ने की। विशिष्ट अतिथि डॉ रूप चंद्र शास्त्री मयंक ने 1965 में लिखी कविता *जल में मयंक, प्रतिबिंबित था, अरुणोदय होने वाला था, कली कली पर झूम रहा एक चंचरिक इक मतवाला था* सुनाकर वाहवाही बटोरी। दया भट्ट दया ने *शब्दों का भी भाग्य होता है* विषय पर तो
दया भट्ट ” दया’
कैलाश पांडे ने 1971 में लिखी *अदृश्यपूर्व, अभूतपूर्व, अभूतपूर्व ऐसा अश्लील कर्म* कविता सुना कर बालिकाओं के साथ हो रहे अमानुष कार्यों पर ध्यान दिलाया।
महेंद्र प्रताप पांडेय ‘नंद’ ने 1982 में लिखी *जानता हूं फिर भी अपरिचित, मन लुभाती जा रही हो* कविता से आनंदित किया।
हेमा जोशी ‘परू’ ने 1995 में अपनी बाल कविता *मैंने एक बनाई गुड़िया, नन्ही जादू की पुड़िया*
तो रविंद्र पांडे ‘ पपीहा’ ने 1977 की कविता *मानव बदला,बदली काया और बदल गया संसार* सुना कर भाव विभोर किया। बसंती सामंत ने *एक बात बोलती हूं मान जाओ न बाबू जी, मुझको भी भैया सा पढ़ाओ न बाबूजी* तो शांति देवी ने *तो क्या हुआ एक बेटी आज फिर से जल गई* कर समाज पर कटाक्ष किया। डॉक्टर नीलम पांडे ‘ नीलिमा’ ने *मैं अकेली हूं जगत में प्रिय, मेरा साथ दो* तो तुलसी बिष्ट ‘ तनु’ ने *इस जहां में किसने किसका दर्द बांटा है, जिसने जो बोया वही तो काटा है* कविता सुनाई।
वही शिव भगवान मिश्र ने 1981 की लिखी *लिखे थे जो भी हमने शब्द, कर लिए जब्त* कहकर अपनी भावनाओं को व्यक्त किया। कवि त्रिलोचन जोशी ने अपनी 1998 की पहली कविता *मैं तेरा पति नहीं हो सकता* सुनाकर वाहवाही लूटी। संतोष कुमार वर्मा ने *भरपूर मजूरी चाही, भरपेट भोजनवा* सुनाई तो वही रामरतन यादव रतन ने 2018 में लिखी *क्या खता थी मेरी मां, न संचित किया अपनी ममता के आंचल से वंचित किया* कर तालियां बटोरी डॉक्टर जगदीश पंत ‘कुमुद ‘ ने *मानवता रोती है तब तक वो नशे के ठेकेदारों* सुनाकर वाहवाही लूटी। इस अवसर पर दिव्य प्रकाश जोशी, आलोक सिंह, सोनू त्रिपाठी ने अपने संस्मरण सुनाए। कवि विपिन जोशी ने *चिड़िया कहती है सूरज से, आसमान में उड़ती हम है* सुना कर अपना बचपन याद किया।
टीचर लर्निग सेंटर खटीमा में मेरी पहली कविता विषय पर जिसमें खटीमा क्षेत्र के साहित्य की कविता विधा में रुचि रखने वाले प्राथमिक, उच्च प्राथमिक, इंटर कालेज, डिग्री कालेज के शिक्षकों सहित समाज के अन्य क्षेत्रों से जुड़े लोग सामिल रहे । कविता समूह का उद्देशय साहित्य की कविता विधा के प्रति जुड़ाव व लेखन के प्रति रुचि पैदा करने के साथ कवियों को एक मंच पर एक साथ लाना रहा। आज के सम्मेलन में प्रतिभागियों द्वारा अपनी पहली कविता व उसकों लिखने का उद्देश्य सुनाया गया जिसमें निम्नलिखित कवि सामिल रहे-
इस अवसर पर डॉ रूपचंद्र शास्त्री मयंक , कैलाश पाण्डेय , रवींद्र पाण्डेय “पपीहा ” ,डॉ नीलम पाण्डेय “नीलिमा ” , शिव भगवान मिश्रजी , जगदीश पंत “कुमुद” , हेमा जोशी “परू” , श्री राम रतन यादव “रतन”, बसन्ती सामंत , त्रिलोचन जोशी , शांति ,डॉ संतोष कुमार वर्मा 17,दया भट्ट “दया” ,विपिन जोशी ,तुलसी बिष्ट “तनु” , डा. महेंद्र प्रताप पाण्डेय, “नन्द” आलोक , सोमू व दिब्य प्रकाश जोशी मौजूद रहे।
Author: uttarakhandlive24
Harrish H Mehraa