Big Breking-पंचायत चुनाव में दो जगह वोटर लिस्‍ट में नाम वाले उम्‍मीदवारों को हाई कोर्ट से झटका , नियम विरुद्ध जीतने वालों का कार्यकाल होगा रद्द , 6 माह में निस्तारण का आदेश, हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी।

Big Breking-पंचायत चुनाव में दो जगह वोटर लिस्‍ट में नाम वाले उम्‍मीदवारों को हाई कोर्ट से झटका , नियम विरुद्ध जीतने वालों का कार्यकाल होगा रद्द , 6 माह में निस्तारण का आदेश, हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी।

 

उच्च न्यायालय ने राज्य निर्वाचन आयोग के उस निर्देश पर रोक लगा दी जिसमें दो जगह मतदाता सूची में नाम वाले पंचायत चुनाव प्रत्याशियों को चुनाव लड़ने की अनुमति दी गई थी। कोर्ट ने पंचायत चुनाव की नामांकन प्रक्रिया पूरी होने के कारण वर्तमान चुनाव में हस्तक्षेप नहीं किया है। कोर्ट ने कहा कि दो मतदाता सूचियों में नाम वाले प्रत्याशियों का चुनाव लड़ना पंचायत राज अधिनियम के विरुद्ध है।

नैनीताल — उत्तराखंड हाईकोर्ट ने पंचायत चुनाव में डबल वोटर लिस्ट के मामलों पर कड़ा रुख अपनाते हुए स्पष्ट कर दिया है कि जो प्रत्याशी नियमों के विपरीत चुनाव जीतेंगे, उनका कार्यकाल रद्द किया जाएगा। मुख्य न्यायाधीश जी. नरेंद्र और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ ने निर्देश दिया कि चुनाव संबंधी याचिकाओं का निपटारा 6 माह के भीतर किया जाए।

मामला बीडीसी चुनाव में पराजित प्रत्याशियों द्वारा दायर याचिकाओं का है। पौड़ी गढ़वाल निवासी दीक्षा नेगी, टिहरी निवासी नीरू चौधरी और उत्तरकाशी निवासी उषा ने आरोप लगाया कि उनके खिलाफ जीतने वाले प्रत्याशियों के नाम दो अलग-अलग मतदाता सूचियों में दर्ज थे। याचिकाकर्ताओं ने मांग की कि ऐसे प्रत्याशियों का निर्वाचन रद्द किया जाए और उन्हें 14 अगस्त को होने वाले ब्लॉक प्रमुख, ज्येष्ठ प्रमुख और कनिष्ठ प्रमुख के चुनाव में मतदान से रोका जाए।

इसी तरह वर्षा राणा, गंगा नेगी, कनिका और त्रिलोक बिष्ट ने भी डबल वोटर लिस्ट वाले प्रत्याशियों के निर्वाचन को चुनौती दी है।

गौरतलब है कि 11 जुलाई 2025 को हाईकोर्ट ने शक्ति सिंह बर्त्वाल की याचिका में राज्य निर्वाचन आयोग के उस सर्कुलर पर रोक लगाई थी, जिसमें डबल वोटर को मतदान और चुनाव लड़ने की अनुमति दी गई थी। हालांकि नामांकन प्रक्रिया पूरी होने के कारण चुनाव आयोग ने प्रक्रिया जारी रखी, जिससे ऐसे प्रत्याशी चुनाव में भाग लेने में सफल रहे।

शिकायतकर्ता शक्ति सिंह बर्त्वाल ने राज्य निर्वाचन आयोग के मुख्य निर्वाचन आयुक्त 7 एवं 8 जुलाई को पत्र प्रेषित किया गया था। जिसके माध्यम से उत्तराखंड में गतिमान त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में नगर निकाय चुनाव की मतदाता सूची में शामिल मतदाताओं को मतदान एवं नामांकन से रोके जाने के विषय में स्पष्ट दिशा निर्देश देने का अनुरोध किया था। जिसके जवाब से असंतुष्ट और पंचायती राज अधिनियम की धारा 9 की उप धारा 6 और 7 का पालन न करने की शिकायत हाई कोर्ट में याचिका दायर कर की है।

इधर आयोग के अधिवक्ता संजय भट्ट के अनुसार कोर्ट ने मौजूदा चुनाव प्रक्रिया पर किसी तरह हस्तक्षेप नहीं किया है, इन चुनावों पर इसका असर नहीं पड़ेगा लेकिन भविष्य में पड़ेगा। आदेश की प्रति मिलने के बाद आयोग विधिक पहलुओं पर विचार करेगा।

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अभिजय नेगी के अनुसार कोर्ट के आदेश के बाद दो मतदाता सूची में नाम वाले प्रत्याशी चुनाव लड़ने से अयोग्य हो गए हैं, यदि राज्य निर्वाचन आयोग ने इसको गंभीरता से नहीं लिया तो यह अवमानना के दायरे में आएगा

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