उत्तराखंड उच्च न्यायालय बेल बसानी हों सकता है शिफ्टिंग। प्रमुख वन सचिव, अन्य ने मुख्य न्यायाधीश से भेंटकर दी चयनित जमीन की दी जानकारी।
नैनीताल (उत्तराखंड)नैनीताल। केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की आपत्ति के बाद शासन ने फिलहाल हाईकोर्ट के लिए नैनीताल के पटवाडांगर-फतेहपुर (हल्द्वानी) मार्ग पर बेल बसानी में 10 हेक्टेयर जमीन चयनित की है।
न्यायाधीश समेत अन्य न्यायाधीशों ने प्रमुख सचिव राजस्व व उनकी टीम के साथ न्यायालय सभागार में बैठक की। सरकार ने वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के पत्र पर हल्द्वानी के बेल बसानी में दस हैक्टेयर जमीन खोजी है।वन एवं पर्यावरण जलवायु मंत्रालय की क्षेत्रीय सशक्त समिति (Regional empowered committee) ने राज्य सरकार को 20 फरवरी को पत्र लिखकर कहा था कि हाईकोर्ट गौलापार में न बनाकर किसी अन्य राजस्व क्षेत्र में बनाया जाए। इसके बाद सचिव पंकज पाण्डे ने जिलाधिकारी को उस पत्र का हवाला देते हुए हाईकोर्ट के लिए जिले में अन्यत्र भूमि देखने को कहा था।
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प्रदेश के प्रमुख सचिव वन डॉ. आर के सुधांशु, सचिव पंकज पांडेय और अन्य अधिकारियों ने सोमवार की दोपहर इस संबंध में हाईकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति ऋतु बाहरी से भेंटकर इस चयनित भूमि की जानकारी दी। – अधिकारियों ने बताया कि हाईकोर्ट के लिए 26 हेक्टेयर भूमि की जरूरत है जो एक जगह पर नहीं मिल रही है। ऐसे में विकल्प के रूप में सबसे बड़ी 10 हेक्टेयर राजस्व भूमि बेल बसानी में चयनित की है।
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मुख्य न्यायाधीश ऋतु बाहरी ने सभी संबंधित विभागों की एक कमेटी बनाकर कल मंगलवार को बेल बसानी का निरीक्षण कर रिपोर्ट बनाने को कहा है। सचिव के पूर्व के आदेशानुसार भी राजस्व भूमि में बहुमंजिले भवन का निर्माण का स्कोप देखने को कहा गया था। इसमें कॉन्क्रीट का इस्तेमाल कर क्षेत्र में हरियाली बनाए रखने के भी इंस्ट्रक्शन दिए गए थे।
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अपरजिलाधिकारी नैनीताल शिव चरण द्विवेदी ने बताया कि बैठक में बेल बसानी में नए तलाशे राजस्व क्षेत्र का निरीक्षण कर एक रिपोर्ट बनाने को कहा गया है। इसमें राजस्व विभाग, वन विभाग, प्रशासन और लोक निर्माण विभाग के उच्चाधिकारियों को शामिल किया गया है।
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वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने आदेश दिया था कि ऐसी राजस्व भूमि तलाशो जाए जहां बहुमंजिले भवन निर्माण किए जा सके और वहां वृक्षों का कम से कम नुकसान हो। मंझलय की एम्पॉवरमेंट कमेटी ने उत्तराखंड हाईकोर्ट को गौलापार शिफ्ट करने के प्रस्ताव पर आपत्ति लगाते हुए इसके लिए दूसरी जगह तलाशने के निर्देश उत्तराखंड के मुख्य सचिव को 20 फरवरी 2024 को जारी पत्र में दिए थे।
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Author: uttarakhandlive24
Harrish H Mehraa