आरटीआई -आयोग तक पहुंचने वाली अपील की सुनवाई शिकायतकर्ता के बगैर देहरादून जाए ही वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए अपना पक्ष रखने का मिलेगा विकल्प।

आरटीआई -आयोग तक पहुंचने वाली अपील की सुनवाई शिकायतकर्ता के बगैर देहरादून जाए ही वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए अपना पक्ष रखने का मिलेगा विकल्प।

 

चंपावत ( उत्तराखंड ) आरटीआई (सूचना का अधिकार) की अपील के लिए लोगों को राज्य सूचना आयोग के दफ्तरों में चक्कर नहीं काटने होंगे। आयोग तक पहुंचने वाली अपील की सुनवाई शिकायतकर्ता के बगैर देहरादून जाए ही हो जाएगी। शिकायतकर्ता को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये ये सुविधा मिलेगी। उत्तराखंड के सीआईसी (मुख्य सूचना आयुक्त) अनिल चंद्र पुनेठा ने टनकपुर में विशेष साक्षात्कार में इसकी जानकारी दी।वर्ष 1984 बैच के सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी और आंध्र प्रदेश के मुख्य सचिव रह चुके पुनेठा ने कहा कि सुशासन के अलावा भ्रष्टाचार में कमी लाने के लिए आरटीआई कारगर हथियार है। राज्य सूचना आयोग इस दिशा में काम कर रहा है। आयोग की मंशा हर जिले में अपील की सुनवाई की भी थी।

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इसमें कुछ अड़चनें आने से इसका क्रियान्वयन नहीं हो सका लेकिन विभागीय अपील से संतुष्ट नहीं होने वाले आरटीआई कार्यकर्ता आयोग के सम्मुख देहरादून आए बगैर दूसरी अपील में हिस्सा ले सकेंगे। वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए उन्हें अपना पक्ष रखने का विकल्प मिलेगा। ऐसा करने से आयोग के काम में तेजी और पारदर्शिता आने के साथ शिकायतकर्ता का समय और साधन की बचत होगी।

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मुख्य सूचना आयुक्त उत्तराखंड पुनेठा ने कहा कि आयोग में लंबित मामलों का तेजी से निपटारा किया जा रहा है। एक साल में चार हजार लंबित मामलों में से ढाई हजार निस्तारित किए जा चुके हैं। अपीलों की त्वरित सुनवाई के समय को अधिकतम दो साल से कम कर छह माह और सेक्शन 18 (तात्कालिकता) के मामलों की समय सीमा डेढ़ माह कर दी गई है। उत्तराखंड में अपवाद स्वरूप मामलों को छोड़कर आरटीआई का दुरुपयोग नहीं हो रहा है।

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उतराखंड में आरटीआई की सुनवाई के मामले के निस्तारणों में तेजी आई है। आयोग इसी वित्त वर्ष की समाप्ति से पहले सूचना आयोग में आने वाली अपील के लिए शिकायतकर्ता को आयोग नहीं आने की दशा में वीडियो कांफ्रेंसिंग का विकल्प देगा। इससे शिकायतकर्ता देहरादून आए बगैर सुनवाई में हिस्सा ले सकेंगे। – अनिल चंद्र पुनेठा, सीआईसी, उत्तराखंड।

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