उत्तराखंड में केंद्र सरकार के नए कानून के विरोध में हड़ताल पर निजी ट्रांसपोर्टर, जगह-जगह प्रदर्शन,भीषण ठंड में कई तरह की परेशानियां सहने को मजबूर है आम यात्री।
देहरादून (उत्तराखंड) भारत सरकार के सड़क दुर्घटना संबंधी नए कानून से डरे सहमें बसों और ट्रकों के चालकों की हड़ताल का उत्तराखंड के अलग-अलग हिस्से में जबरदस्त असर देखने को मिल रहा है। वाहनों का परिचालन ठप रहने से आम यात्री इस भीषण ठंड में कई तरह की परेशानियां सहने को मजबूर हो गए हैं। यात्री जगह-जगह बसों के आने का इंतजार करते दिख रहे हैं।
Drivers Strike News प्रदेशभर में केंद्र सरकार के नए कानून के विरोध में प्रदर्शन हो रहा है। रोडवेज बसों का चक्काजाम है। सभी चालकों ने बस संचालन करने से इनकार कर दिया है। किसी भी राज्य की रोडवेज बस भी नहीं आ रही और वहीं जो बसें कल बाहर गई थी वो अब वापस लौट रही। हजारों यात्री परेशान होकर इधर उधर भटक रहे हैं।नए कानून के विरोध में सोमवार को रोडवेज बस चालक हड़ताल पर चले गए। चालकों ने प्रदर्शन कर नए कानून का विरोध किया। जिसका असर प्रदेश के साथ-साथ रामनगर, हल्द्वानी, देहरादून, हरिद्वार और रुड़की में भी देखने को मिल रहा है। इस वजह से यात्रियों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
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बता दें कि, हिट एंड रन केस के नए प्रावधान को लेकर ट्रांसपोर्ट नगर व्यापारी एसोसिएशन ने केंद्र सरकार की ओर से लागू नए प्रावधान को लेकर नाराजगी जताई और विरोध में प्रदर्शन भी किया। सरकार से इस प्रस्तावित कानून पर पुनः विचार करने की मांग की गई।
केंद्रीय मंत्रीमंडल ने वाहन से दुर्घटना होने पर चालक को 10 वर्ष का करावास और पांच लाख अर्थदंड वसूलने के नए प्रावधान के विरोध में ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट यूनियन कांग्रेस ने तीन दिनी देशव्यापी हड़ताल का एलान किया है। महासंघ टैक्सी यूनियन कुमाऊं मंडल ने भी सोमवार से होने वाली हड़ताल को समर्थन दिया है। ऐसे में आज से बुधवार तक टैक्सियां नहीं चलेंगी।
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महासंघ टैक्सी यूनियन कुमाऊं मंडल के अध्यक्ष ठाकुर सिंह बिष्ट ने प्रेस नोट जारी कर कहा कि देशव्यापी हड़ताल का यूनियन समर्थन करती है। कहा कि एक जनवरी 2024 से तीन जनवरी तक तीन दिनी देशव्यापी हड़ताल को केमू समेत अन्य का समर्थन है। कुमाऊं टैक्सी महासंघ भी इस बंद का पूर्ण समर्थन करता है। उन्होंने समस्त विभागों में अधिग्रहित व्यावसायिक वाहन चालकों/मालिकों से अनुरोध किया है कि वह भी इस बंद में अपना पूर्ण समर्थन दें।
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ट्रांसपोर्टरों ने कहा कि जब भी कोई दुर्घटना होती है तो ड्राइवर बचने के इरादे से नहीं भागता बल्कि, बेकाबू होती भीड़ से खुद की जान बचाने के लिए भागता है। ऐसे में उस पर सजा का प्रावधान और जुर्माना लगाना ठीक नहीं है। एसोसिएशन के अध्यक्ष अमरजीत सिंह सेठी और महामंत्री प्रदीप सब्बरवाल ने कहा कि हिट एंड रन केस के नए प्रावधानों ने ट्रक चालकों में भय पैदा हो गया है। कई ट्रक चालक नौकरी छोड़ कर जा चुके हैं। ऐसे में ट्रांसपोर्ट कारोबार खतरे में पड़ गया है।
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नए कानून में दुर्घटना की स्थिति में ट्रक चालक पर सात लाख रुपये का जुर्माना और 10 साल कैद की सजा का प्रावधान किया गया है। जो ट्रक चालक की आर्थिक स्थिति के अनुसार गलत है।हरिद्वार, देहरादून और रुड़की में भी हिट एंड रन कानून के विरोध में जमकर प्रदर्शन हो रहा हैं। हरिद्वार में बहादराबाद-सिडकुल फोरलेन पर ट्रक चालकों ने बीच रोड पर गाड़ी खड़ी कर कर विरोध जताया। इस दौरान आम लोगों को तो परेशानी झेलनी पड़ रही है वहीं गाड़ियों का लंबा जाम लग गया। हालांकि ट्रक चालक फैमिली की गाड़ियों को जाने दे रहे हैं।
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वहीं, सिडकुल-बहादराबाद फोर लेन पर भाईचारा पुलिस पिकेट, सलेमपुर चौक से सिडकुल की ओर तीन स्थानों पर ट्रक चालकों ने बीच रोड पर जेसीबी मशीन, ऑटो रिक्शा, पिकअप आदि गाड़ियां खड़ी कर दी है। ऑटो रिक्शा से आने वाली सवारियों को नही बैठाया जा रहा है। महिलाएं और बच्चे पैदल जा रहे हैं।
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केंद्र सरकार की ओर से एमवी एक्ट के नियमों में बदलाव को लेकर प्रदेश के निजी ट्रांसपोर्टर राष्ट्रव्यापी हड़ताल में शामिल हो गए हैं। आज से तीन दिवसीय हड़ताल शुरू हो गई है। ट्रांसपोर्टर की हड़ताल से ज्यादातर निजी बस, टैक्सी, मैक्सी, ट्रेवलर, विक्रम आदि हड़ताल पर हैं। ट्रांसपोर्टर केंद्र सरकार के खिलाफ जगह-जगह प्रदर्शन कर रहे हैं। इससे यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा।
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प्रदेशभर में रोडवेज बसों का चक्काजाम है। सभी चालकों ने बस संचालन करने से इनकार कर दिया है। हजारों यात्री परेशान होकर इधर उधर भटक रहे हैं। किसी भी राज्य की रोडवेज बस भी नहीं आ रही और वहीं जो बसें कल बाहर गई थी, वो अब वापस लौट रही। अप्रत्याशित हड़ताल को लेकर किसी अधिकारी को जानकारी नहीं थी। रोडवेज के आला अधिकारी आइएसबीटी पर जमा हो गए। सरकार का खुफिया तंत्र भी माहौल भाप पाने में रहा विफल।
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Author: uttarakhandlive24
Harrish H Mehraa