हल्द्वानी नन्हीं परी कशिश गैंगरेप मर्डर केस मामले में सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर करेगी सरकार-सीएम धामी।
देहरादून, ब्यूरो। हल्द्वानी की सात वर्षीय मासूम ‘नन्हीं परी’ के गैंगरेप और हत्या मामले में बड़ा मोड़ आया है। उत्तराखंड सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर करने का फैसला लिया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने न्याय विभाग को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि इस मामले में सर्वोच्च न्यायालय से पुनर्विचार की मांग की जाए।
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि राज्य सरकार बेटियों के साथ अत्याचार करने वालों को हर हाल में सजा दिलाने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने आश्वस्त किया कि सरकार अपनी सर्वश्रेष्ठ कानूनी टीम तैनात कर इस लड़ाई को पूरी ताकत से लड़ेगी।
क्या है मामला
20 नवंबर 2014 को पिथौरागढ़ की सात साल की बच्ची हल्द्वानी के शीशमहल स्थित रामलीला ग्राउंड में आयोजित एक शादी समारोह से अचानक लापता हो गई थी। छह दिन बाद उसका शव गौला नदी से बरामद हुआ। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि हत्या से पहले मासूम के साथ दरिंदगी की गई थी।
पुलिस ने आठ दिन बाद मुख्य आरोपी अख्तर अली को चंडीगढ़ से दबोचा। उसकी निशानदेही पर दो अन्य आरोपी प्रेमपाल और जूनियर मसीह भी पकड़े गए। मार्च 2016 में हल्द्वानी की एडीजे स्पेशल कोर्ट ने अख्तर अली को दोषी ठहराकर फांसी की सजा सुनाई, जबकि प्रेमपाल को पांच साल की सजा और तीसरे आरोपी को बरी कर दिया गया।
2019 में हाईकोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने मुख्य आरोपी अख्तर अली को बरी कर दिया। इसी फैसले को चुनौती देते हुए राज्य सरकार अब पुनर्विचार याचिका दाखिल करने जा रही है।
सरकार का रुख सख्त
सीएम धामी ने कहा कि देवभूमि में इस तरह की अमानवीय घटनाओं को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। सरकार न्याय की इस लड़ाई में पीड़ित परिवार के साथ खड़ी है। राज्य में असामाजिक तत्वों की पहचान के लिए सत्यापन अभियान भी चलाया जा रहा है ताकि देवभूमि की पवित्र पहचान को किसी प्रकार का आघात न पहुंचे।