भीमताल विधानसभा में सड़कों की बदहाली पर फूटा जनता का गुस्सा, पूर्व दर्जा मंत्री हरीश पनेरू के नेतृत्व में ग्रामीणों ने कुमाऊं कमिश्नर आवास का किया घेराव_10 दिन का अल्टीमेटम…देखिए Video

भीमताल विधानसभा में सड़कों की बदहाली पर फूटा जनता का गुस्सा, पूर्व दर्जा मंत्री हरीश पनेरू के नेतृत्व में ग्रामीणों ने कुमाऊं कमिश्नर आवास का किया घेराव_10 दिन का अल्टीमेटम…देखिए Video

 

हल्द्वानी (उत्तराखंड) कुमाऊं मंडल की खस्ताहाल सड़कों और निर्माण में चल रहे भ्रष्टाचार के खिलाफ जनता का आक्रोश मंगलवार को चरम पर पहुंच गया। राज्य आंदोलनकारी एवं पूर्व दर्जा राज्य मंत्री हरीश पनेरू के नेतृत्व में कुमाऊं भर से आए सैकड़ों प्रदर्शनकारियों ने सुबह 10 बजे कुमाऊं कमिश्नर आवास का घेराव कर सरकार व लोक निर्माण विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए।

प्रदर्शनकारियों ने हल्द्वानी SDM को करीब दो घंटे तक घेर रखा। बाद में विभागीय अधिकारियों से बातचीत हुई, जिसमें मुख्य अभियंता, लोक निर्माण विभाग ने दूरभाष पर 10 दिनों के भीतर ठोस कार्रवाई का आश्वासन दिया। हालाँकि मौके पर उपस्थित अधिशासी अभियंता को प्रदर्शनकारियों ने जमकर फटकार लगाई। कई बार स्थिति मारपीट की कगार पर पहुंच गई, लेकिन हरीश पनेरू ने स्थिति को शांतिपूर्ण बनाए रखते हुए नियंत्रण किया।

प्रमुख मांगें:

🔸 कुमाऊं की खस्ताहाल सड़कों की तत्काल मरम्मत
🔸 त्योहारी सीजन से पहले गड्ढामुक्त सड़कें सुनिश्चित करना
🔸 भ्रष्टाचार की जांच कर दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई
🔸 भीमताल विधानसभा की प्रस्तावित व लंबित सड़कों का शीघ्र निर्माण

प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि जनप्रतिनिधि और अधिकारी जमीनी हकीकत से आंखें मूंदे बैठे हैं। 54 प्रमुख सड़क मार्गों की हालत इतनी दयनीय है कि रोजाना दुर्घटनाएं हो रही हैं। बजट पास तो होता रहा, पर कार्य जमीन पर शून्य। सड़कों की हालत स्पष्ट रूप से विभागीय मिलीभगत से ठेकेदारों को लाभ पहुंचाने का परिणाम है।

हरीश पनेरू ने चेतावनी दी:
“अगर 10 दिनों में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया, तो यह केवल ट्रेलर था। अगला आंदोलन राजधानी देहरादून में होगा। इस बार चुप नहीं बैठेंगे।”

प्रमुख उपस्थित जनप्रतिनिधि व स्थानीय नेता:

भगवान मेहरा, प्रबल धरमवाल, सुरेश हरीश परगांई, सोनू संभल, श्याम सिंह, गोविंद आर्य, हिमेश पनेरू, भूपेंद्र, ललित बिष्ट, कैलाश सहित बड़ी संख्या में स्थानीय लोग शामिल रहे।

अब वादे नहीं, काम चाहिए:
जनता ने साफ कर दिया कि सड़कों की स्थिति केवल आवागमन का मामला नहीं, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। त्योहारों से पहले यदि शासन-प्रशासन हरकत में नहीं आएगा, तो आंदोलन और तेज होगा।

👇 नीचे पढ़ें 54 सड़क मार्गों की सूची जिनकी तत्काल मरम्मत/निर्माण की मांग की गई है।

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