पिथौरागढ़ की 7 साल की मासूम से दुष्कर्म मामले में आरोपी सुप्रीम कोर्ट से बरी,लाडली को न्याय के लिए 14 साल बाद फिर सड़कों पर उतरा जनमानस, जानिए पूरा मामला।
पिथौरागढ़। लाडली/नन्ही परी को न्याय दिलाने के लिए 14 साल बाद रविवार को एक बार फिर हजारों लोग सड़कों पर उतर आए। जबर्दस्त आक्रोश के बीच नगर निगम स्थित रामलीला मैदान से कलक्ट्रेट तक विशाल जुलूस निकाला गया। इसके बाद टकाना में धरना-प्रदर्शन और जनसभा की गई। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने कहा कि यदि पुनर्विचार याचिका दायर कर बिटिया को न्याय नहीं दिलाया गया तो उग्र आंदोलन किया जाएगा।
रविवार को सुबह 10 बजे से ही लोग रामलीला मैदान में एकत्र होने शुरू हो गए थे। जब हजारों लोग जुटे तो करीब 11 बजे विशाल जुलूस की शक्ल में लोग सिमलगैर बाजार, गांधी चौक, सिल्थाम, रोडवेज बस स्टेशन, केमू स्टेशन, गुप्ता तिराहा, टकाना होते हुए कलक्ट्रेट स्थित अधिसूचित धरना स्थल पर पहुंचे। इस दौरान जमकर नारेबाजी करते हुए लाडली को न्याय दिलाने की मांग की गई।
इसके बाद आयोजित जनसभा को सामाजिक कार्यकर्ता रेनू पांडे, चंचल बोरा, चंद्री चंद, दीपक जोशी और शमशेर महर ने संबोधित किया। वक्ताओं ने कहा कि जिस तरह से लाडली के साथ दरिंदगी करने वाला हत्यारा सुप्रीम कोर्ट से बरी हुआ है, उससे पूरे उत्तराखंड का जनमानस हताश और निराश है। यदि इसी तरह से पैरवी होती रही तो पीड़ितों को कैसे न्याय मिलेगा। उन्होंने कहा कि यदि शीघ्र इस मामले में उचित कार्रवाई नहीं की गई तो पूरे जिले की जनता सड़कों पर उतरेगी।
जनसभा के बाद लाडली के माता-पिता सहित अन्य परिवारजनों ने मौके पर मौजूद एसडीएम मनजीत सिंह को ज्ञापन सौंपा। प्रदर्शन करने वालों में युवा, महिलाएं, व्यापारी वर्ग, छात्र, पूर्व सैनिक सहित सभी राजनैतिक दलों के कार्यकर्ता शामिल रहे। शांति व्यवस्था के लिए बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया था। तहसीलदार विजय गोस्वामी भी मौके पर मौजूद रहे।
—
लाडली के स्वजन बोले- न्याय नहीं मिला तो करेंगे आत्मदाह
हजारों की जनसभा को संबोधित करते समय लाडली के ताऊ की आंखें भर आईं। उन्होंने कहा कि उनके परिवार ने जो दर्द महसूस किया है, उसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। जो उनके ऊपर बीती थी, उसे उनका परिवार आजीवन नहीं भूल सकता है। दोषियों को सजा मिली थी तो कुछ राहत मिली थी लेकिन सरकार की कमजोर पैरवी के कारण मुख्य आरोपी जिस तरह से बरी हुआ है, उससे पूरा परिवार आहत है। यदि शीघ्र इस मामले में सरकार पुनर्विचार याचिका दाखिल कर उन्हें न्याय दिलाने के लिए कदम नहीं उठाती है तो वह आत्मदाह कर लेंगे।
—
””जब से हत्यारे के बरी होने की खबर पढ़ी सो नहीं पाया हूं””
लाडली के चचेरे भाई का कहना था कि आज से 11 साल पहले हुई उस घटना को वह आज भी नहीं भूल पाते हैं। जब से हत्यारे के बरी होने की खबर पढ़ी, तब से रात को सो नहीं पा रहा हूं। उनके जेहन में झाड़ियों में मिली मासूम बहन की वह तस्वीर बार-बार नजर आती है, जैसे किसी खिलौने को तोड़ मरोड़कर फेंक दिया गया हो। उन्होंने कहा कि जिस तरह से आज हजारों लोगों का फिर से साथ मिल रहा है, इससे अभी भी उन्हें न्याय की उम्मीद है।
बेटी की गुनहगारों को मिले फांसी: पीड़ित परिवार ने गहरी पीड़ा व्यक्त करते हुए कहा कि ‘बेटी बचाओ’ के नारे अब खोखले साबित हो रहे हैं. परिजनों ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मांग की है कि फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू पिटीशन दाखिल की जाए और आरोपियों को कठोरतम सजा दिलाई जाए. परिजनों ने दोहराया कि उनकी सिर्फ एक ही मांग है कि बेटी के गुनहगारों को फांसी की सजा दी जाए।
इस मामले पर विभिन्न संगठनों ने भी आक्रोश जताया है. अब परिजनों ने जिलाधिकारी कार्यालय पहुंचकर राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन भेजने की बात कही है. इधर, आरोपी को बरी करने पर पूरे सीमांत जिले पिथौरागढ़ में जनता के भीतर आक्रोश व्याप्त है. विभिन्न संगठनों लोगों ने प्रदेश सरकार की कड़ी निंदा करते हुए पिथौरागढ़ नगर में मौन स्वरूप विरोध जताया।
सिमलगैर बाजार में सीमांत यूथ मोर्चा, उत्तराखंड छात्र मोर्चा, नगर यूथ कमेटी के युवाओं ने कहा कि मासूम को जब तक इंसाफ नहीं मिलेगा, तब तक चैन से नहीं बैठेंगे. उन्होंने राज्य सरकार से इस मामले में ठोस कदम उठाने की अपील की. पिथौरागढ़ की बेटी को न्याय दिलाने की मांग को लेकर रामलीला ग्राउंड में विभिन्न समाजसेवी संगठन एकत्रित हुए. जहां सभी ने संकल्प लिया कि मासूम को न्याय दिलाने की हर कोशिश की जाएगी।
क्या था पूरा मामला? बता दें कि 20 नवंबर 2014 को पिथौरागढ़ की रहने वाली 7 साल की मासूम अपने परिवार के साथ हल्द्वानी के शीशमहल स्थित रामलीला ग्राउंड में एक शादी समारोह में आई थी. समारोह के दौरान वो अचानक लापता हो गई थी. जिसकी काफी तलाश की गई, लेकिन उसका कुछ पता नहीं चल पाया. लापता होने के 6 दिन बाद उसका शव गौला नदी से बरामद हुआ।
वहीं, जब पोस्टमॉर्टम कराया गया तो रिपोर्ट में यह पुष्टि हुई कि बच्ची के साथ दुष्कर्म (गैंगरेप) किया गया था, फिर उसके बाद उसकी हत्या कर दी गई थी. इस घटना से लोगों में भारी गुस्सा भड़क गया था. लोगों ने सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन किया. तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत के काफिले पर भी गुस्साई भीड़ ने हमला कर दिया था. उस दौरान पूरे प्रदेश भर में इस घटना को लेकर बड़ा आंदोलन हुआ था।
दोषियों की गिरफ्तारी और सजा: पुलिस ने इस मामले की जांच के लिए कई राज्यों में तलाशी अभियान चलाया. घटना के 8 दिन बाद पुलिस ने मुख्य आरोपी अख्तर अली को चंडीगढ़ से गिरफ्तार किया. उसकी निशानदेही पर दो और आरोपियों प्रेमपाल और जूनियर मसीह को भी पकड़ा गया. मार्च 2016 में हल्द्वानी की एडीजे स्पेशल कोर्ट ने अख्तर अली को गैंगरेप और हत्या का दोषी ठहराते हुए फांसी की सजा सुनाई।
वहीं, प्रेमपाल को पांच साल की सजा दी गई. अक्टूबर 2019 में नैनीताल हाईकोर्ट ने निचली अदालत के इस फैसले को बरकरार रखा था. अब सुप्रीम कोर्ट से फैसला आया है कि आरोपी को बरी कर दिया गया है. जिसके बाद लोगों में आक्रोश देखने को मिल रहा है. उनका कहना है कि मामले में पैरवी ठीक से नहीं की गई, जिसके चलते आरोपी बरी हो गए।
सीएम धामी बोले- राज्य सरकार विधिक राय लेकर पुनर्विचार याचिका करेगी दायर: मासूम प्रकरण पर आज बीजेपी का शिष्टमंडल परिजनों से मिलने पिथौरागढ़ उनके आवास पर पहुंचा. इस दौरान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने दूरभाष पर मासूम के पिता से वार्ता कर आश्वस्त किया कि राज्य सरकार पूरी तरह उनके साथ खड़ी है. सीएम धामी ने बताया कि इस प्रकरण पर न्याय विभाग और सीनियर वकीलों से विधिक राय लेते हुए मुख्यमंत्री आवास पर विस्तृत चर्चा की जाएगी. फिर राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर करने के लिए हरसंभव प्रयास करेगी।