उत्तराखंड की प्रसिद्ध साहित्यकार दया भट्ट ‘दया’ को “राष्ट्र रत्न सम्मान-2025” से किया सम्मानित।
साहित्य, संस्कृति और सामाजिक चेतना में योगदान हेतु मिला सम्मान।
पटना (बिहार), 1 जुलाई 2025 —उत्तराखंड की प्रतिष्ठित लेखिका, कवयित्री और सामाजिक चिंतक दया भट्ट ‘दया’ को “अंतर्राष्ट्रीय सखी साहित्य परिवार (पंजी.)” की बिहार इकाई द्वारा वर्ष 2025 का “राष्ट्र रत्न सम्मान” प्रदान किया गया। यह सम्मान उन्हें साहित्यिक सृजन, सामाजिक जागरूकता और भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों के संरक्षण में उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए दिया गया।
साहित्य में समर्पित साधना
दया भट्ट “दया” विगत दो दशकों से साहित्य के क्षेत्र में सक्रिय हैं। उनकी लेखनी में नारी संवेदना, ग्रामीण चेतना, सामाजिक सरोकार और सांस्कृतिक आस्थाएं प्रमुख रूप से उभरकर सामने आती हैं। उन्होंने हिंदी कविता, लेख, कहानियां और सामाजिक निबंधों के माध्यम से एक मजबूत वैचारिक पहचान बनाई है।
उनकी रचनाएं न केवल साहित्यिक मंचों पर सराही गई हैं, बल्कि समाज के आम जनमानस को जागरूक करने का माध्यम भी बनी हैं। वे ग्रामीण महिलाओं की आवाज़ को साहित्य के माध्यम से मंच देती रही हैं और उनके विचारों को स्वर देती हैं।
सम्मान समारोह की झलक
1 जुलाई को पटना स्थित एक साहित्यिक सभागार में आयोजित सम्मान समारोह में देशभर से साहित्यकार, कवि, समाजसेवी और शिक्षाविद शामिल हुए।राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. दीपिका सुतोदिया ने कहा, “दया भट्ट ‘दया’ की लेखनी में समाज की पीड़ा, चेतना और परिवर्तन की शक्ति दिखाई देती है। वे वास्तव में राष्ट्र की अमूल्य धरोहर हैं।”
कार्यक्रम संयोजक रूपेश कुमार ने उन्हें सम्मान पत्र, शॉल व प्रतीक चिह्न प्रदान करते हुए उनके साहित्यिक योगदान की भूरी-भूरी प्रशंसा की।
सामाजिक-सांस्कृतिक क्षेत्र में भी अग्रणी
सिर्फ लेखनी ही नहीं, दया भट्ट सामाजिक स्तर पर भी सक्रिय भूमिका निभाती रही हैं। उन्होंने विभिन्न सामाजिक संगठनों के साथ मिलकर महिला सशक्तिकरण, बालिका शिक्षा, लोकसंस्कृति संरक्षण और ग्रामीण विकास के मुद्दों पर कार्य किया है।
उनकी सक्रियता से प्रेरित होकर कई युवा महिलाएं भी साहित्य और समाजसेवा के क्षेत्र में आगे आई हैं। उन्होंने कई मंचों पर उत्तराखंड की लोकसंस्कृति, भाषा और परंपराओं को राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठा दिलाने का कार्य किया है।
सम्मान पर प्रतिक्रिया
सम्मान प्राप्त करने के पश्चात अपने संक्षिप्त संबोधन में दया भट्ट ‘दया’ ने कहा –
“यह सम्मान केवल मेरा नहीं, उन तमाम स्त्रियों की आत्मा का सम्मान है जो आज भी समाज में बदलाव की आशा के साथ संघर्षरत हैं। मैं इस मान्यता के लिए अंतर्राष्ट्रीय सखी साहित्य परिवार की आभारी हूँ। यह सम्मान मेरी लेखनी की जिम्मेदारी और भी बढ़ा देता है।”
इस अवसर पर देशभर से अनेक साहित्यप्रेमी, लेखक, कवि और सामाजिक कार्यकर्ता उपस्थित रहे।
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दया भट्ट ‘दया’ को मिला यह सम्मान न केवल एक साहित्यकार की उपलब्धि है, बल्कि उत्तराखंड की सांस्कृतिक गरिमा और सामाजिक चेतना की भी विजय है। उनकी यह उपलब्धि युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगी।