टनकपुर- कैलाश मानसरोवर यात्रा पर आए श्रद्धालु उत्तराखंड की संस्कृति में रमे, पारंपरिक लोकनृत्यों, जागरों, और भक्ति संगीत से सजी इस संध्या में भावविभोर हो उठे श्रद्धालु, मुख्यमंत्री धामी को दिया धन्यवाद।

टनकपुर- कैलाश मानसरोवर यात्रा पर आए श्रद्धालु उत्तराखंड की संस्कृति में रमे, पारंपरिक लोकनृत्यों, जागरों, और भक्ति संगीत से सजी इस संध्या में स्वागत से भावविभोर हो उठे श्रद्धालु, मुख्यमंत्री धामी को कहा धन्यवाद।

 

पर्यटन आवास गृह टनकपुर में आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम में कैलाश मानसरोवर यात्रा पर आए प्रथम दल के श्रद्धालु उत्तराखंड की लोक संस्कृति और परंपराओं में पूरी तरह से रच-बस गए। उत्तराखंड की सांस्कृतिक विरासत की अनुपम छटा और भक्ति-भाव से ओतप्रोत प्रस्तुतियों ने सभी यात्रियों को अभिभूत कर दिया।

टनकपुर स्थित पर्यटन आवास गृह में आयोजित भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम ने कैलाश मानसरोवर यात्रा के प्रथम दल के श्रद्धालुओं को उत्तराखंड की लोकसंस्कृति और भक्ति की अनूठी छवि से परिचित कराया। पारंपरिक लोकनृत्यों, जागरों, और भक्ति संगीत से सजी इस संध्या में श्रद्धालु भावविभोर हो उठे।

कार्यक्रम की शुरुआत माँ नंदा-सुनंदा की कैलाश यात्रा के मनोहारी सांस्कृतिक मंचन से हुई, जिसमें उत्तराखंडी लोकगाथाओं की झलक ने सबको मोहित किया। काली मैया के रौद्र रूप और भगवान शिव की आराधना ने कार्यक्रम को भक्ति रस से सराबोर कर दिया। पूरे पंडाल में “हर हर महादेव” के जयकारों की गूंज सुनाई दी, और श्रद्धालु उत्तराखंडी धुनों पर “जय हो कुमाऊं, जय हो गढ़वाल” कहते हुए झूम उठे।

गंगनाथ की जागर और हुड़किया बोलों ने सांस्कृतिक रंग को और गाढ़ा किया। विशेष आकर्षण का केंद्र रहीं मुंबई से आई श्रद्धालु निवेदिता, जिन्होंने शिव भक्ति पर आधारित भावपूर्ण नृत्य प्रस्तुति देकर सबको मंत्रमुग्ध कर दिया।

श्रद्धालुओं ने इस आयोजन को अभूतपूर्व और आत्मीय बताया और मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी का हृदय से आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि:

> “देवभूमि उत्तराखंड की हवा में ही श्रद्धा और भक्ति बसी है। यहाँ की संस्कृति में एक अलौकिक आकर्षण है, जो सीधे हृदय को छू जाता है।”

कार्यक्रम के अंत में श्रद्धालुओं ने उत्तराखंड की समृद्ध विरासत को प्रणाम करते हुए इसे यात्रा का अविस्मरणीय हिस्सा बताया।

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