धाकड़ धामी का भ्रष्टाचार पर कड़ा प्रहार, हरिद्वार नगर निगम में बहुचर्चित जमीन खरीद घोटाला मामले में हरिद्वार डीएम और IAS वरुण चौधरी सस्पेंड, पीसीएस भी नपे -2 IAS, 1 PCS समेत 12 अधिकारी हुए सस्पेंड।
हरिद्वार ज़मीन घोटाले में धामी सरकार का ऐतिहासिक एक्शन। 2 IAS, 1 PCS अफसर समेत 12 निलंबित, विजिलेंस जांच शुरू।
📍 उत्तराखंड की प्रशासनिक व्यवस्था में भ्रष्टाचार के खिलाफ अब तक की सबसे सख्त कार्रवाई।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हरिद्वार ज़मीन घोटाले में दोषी पाए गए 2 IAS, 1 PCS और 9 अन्य अधिकारियों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है।
🔸 54 करोड़ में खरीदी गई 15 करोड़ की ज़मीन
🔸 पारदर्शिता और नियमों की धज्जियां उड़ाई गईं
🔸 नगर निगम द्वारा बिना जरूरत कूड़े के ढेर के पास की कृषि भूमि खरीदी गई
📌 निलंबित किए गए बड़े नाम:
कर्मेन्द्र सिंह (DM, हरिद्वार)
वरुण चौधरी (पूर्व नगर आयुक्त)
अजयवीर सिंह (SDM)
निकिता बिष्ट, विक्की, राजेश कुमार, कमलदास
4 अन्य इंजीनियर व कर अधिकारी पहले ही सस्पेंड
📌 अब इस घोटाले की जांच विजिलेंस विभाग को सौंपी गई है।
🗣️ सीएम धामी ने कहा:
“न कोई बचेगा, न कोई छिपेगा – अब ‘पद’ नहीं, ‘कर्तव्य’ और ‘जवाबदेही’ होगी प्राथमिकता।
आईएएस रणवीर सिंह चौहान ने की है प्रारंभिक जांच, डीएम कर्मेंद्र सिंह को प्रथम दृष्टया उत्तरदायी पाया गया, एक आईएएस और पीसीएस भी नपे।
देहरादून ( उत्ततराखं) : हरिद्वार के बहुचर्चित जमीन घोटाले में धामी सरकार ने दो आईएएस और एक पीसीएस अधिकारी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई कर दी है. डीएम कर्मेंद्र सिंह और आईएएस वरुण चौधरी को निलंबित कर दिया गया है. पीसीएस अजयवीर भी निलंबित कर दिए गए हैं. जांच के बाद पाया गया है कि जमीन खरीदने में इन अफसरों द्वारा अनदेखी और लापरवाही की गई है।
हरिद्वार के जिलाधिकारी सस्पेंड: उत्तराखंड के हरिद्वार जिले में हुए 2 हेक्टेयर से ज्यादा के भूमि खरीद घोटाले में जिलाधिकारी पर गाज गिर गई है. शहरी विकास विभाग ने प्रारंभिक जांच के लिए आईएएस रणवीर सिंह चौहान को जांच अधिकारी बनाया था. जांच अधिकारी ने अपनी जांच में हरिद्वार के जिलाधिकारी कर्मेंद्र सिंह जो नगर निगम के प्रशासन भी थे, उनको अपने पदीय दायित्वों की अनदेखी करने, प्रशासक के रूप में भूमि की अनुमति प्रदान करते हुए निर्धारित प्रक्रिया का पालन नहीं करने और नगर निगम के हितों को ध्यान में नहीं रखने, शासनादेशों की अनदेखी करने एवं नगर निगम अधिनियम 1959 की सुसंगत धाराओं का उल्लंघन करने का प्रथम दृष्टया उत्तरदायी पाया है।
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इसके बाद उनके खिलाफ लगाए गए गंभीर आरोपों को लेकर उन्हें सस्पेंड कर दिया गया है. इसके साथ ही राज्यपाल की ओर से आईएएस कर्मेंद्र सिंह के खिलाफ अनुशासनिक/कार्रवाई करने की स्वीकृति भी दे दी गई है।
आईएएस वरुण चौधरी और पीसीसीए अजयवीर भी निलंबित: इसके साथ ही एक और आईएएस वरुण चौधरी को भी इस मामले में सस्पेंड किया गया है।तीसरे अधिकारी के रूप में पीसीएस अधिकारी अजयवीर का निलंबन हुआ है। इस तरह एक साथ तीन प्रशासनिक अफसरों पर हरिद्वार जमीन खरीद घोटाले में गाज गिरी है।
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अब तक 7 अधिकारी हुए सस्पेंड: हरिद्वार जनपद के ग्राम सराय में नगर निगम ने 2.3070 हेक्टेयर जमीन खरीदी थी. नगर आयुक्त की आख्या में जमीन खरीद में गड़बड़ी पाई गई थी. इस मामले में वित्त अधिकारी को कारण बताओ नोटिस जारी हुआ था. इसके साथ ही 1 मई को राज्य सरकार ने इस मामले में नगर निगम आयुक्त की आख्या में प्रथम दृष्टया गंभीर अनियमितता मिलने पर 4 अफसरों जिनमें अवर अभियंता दिनेश चंद्र कांडपाल, कर एवं राजस्व अधीक्षक लक्ष्मीकांत भट्ट, सहायक अभियंता आनंद सिंह मिश्रवान और अधिशासी अधिकारी रविंद्र कुमार दयाल को सस्पेंड कर दिया था. अब आज 3 जून को दो आईएएस और एक पीसीएस अफसर के निलंबन के साथ ही निलंबित अफसरों की संख्या 7 हो गई है।
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यहां अटैच हुए सस्पेंड डीएम कर्मेंद्र सिंह: हरिद्वार डीएम पद से सस्पेंड आईएएस कर्मेंद्र सिंह को फिलहाल निलंबन अवधि में सचिव कार्मिक एवं सतर्कता विभाग उत्तराखंड शासन के कार्यालय से संबद्ध कर दिया गया है।
ये है हरिद्वार जमीन घोटाला: हरिद्वार जनपद में आचार संहिता के दौरान नगर निगम ने साल 2024 में 33 बीघा जमीन खरीदी थी।आरोप है कि इस जमीन की कीमत कुछ लाख रुपए बीघा थी।लेकिन निगम और जिले के कुछ अधिकारियों ने कृषि भूमि को 143 में दर्ज करवाकर 58 करोड़ रुपए में खरीद लिया था।
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