अजब शिक्षा व्यवस्था: 10वीं में पढ़ने वाला इकलौता स्टूडेंट कैसे हुआ फेल ? ,सात टीचर साल भर पढ़ाकर भी केवल एक छात्र को नहीं करा सके पास, सभी विषयों में हुआ फेल, शिक्षा विभाग की जांच से क्या ? खुलेंगे राज।

अजब शिक्षा व्यवस्था: 10वीं में पढ़ने वाला इकलौता स्टूडेंट कैसे हुआ फेल ? ,सात टीचर साल भर पढ़ाकर भी केवल एक छात्र को नहीं करा सके पास, सभी विषयों में हुआ फेल, शिक्षा विभाग की जांच से क्या ? खुलेंगे राज।

 

Uttarakhand Board Result 2025 भीमताल के भद्रकोट स्थित राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय ने उत्तराखंड बोर्ड 10वीं के परिणाम में शून्य प्रतिशत रिजल्ट का दुखद रिकॉर्ड बनाया है। स्कूल का एकमात्र छात्र सभी विषयों में फेल हो गया। शिक्षा विभाग ने मामले की जांच शुरू कर दी है और शिक्षकों से जवाब मांगा है। यह घटना शिक्षा प्रणाली पर सवाल उठाती है।

एक छात्र पर तैनात थे सात शिक्षक, फिर भी यह छात्र बोर्ड परीक्षा में सभी विषयों में फेल हो गया। कक्षा छह से 10 वीं तक के इस स्कूल में सात ही छात्र हैं।

Education News Uttarkhand: उत्तराखंड में एक छात्र से जुड़ा हैरान करने वाला मामला सामने आया है। शिक्षकों की भरमार के बावजूद नैनीताल में ओखलकांडा के भद्रकोट उच्चतर माध्यमिक स्कूल के दसवीं कक्षा के इकलौते छात्र के फेल होने के मामले में जांच बिठा दी गई।

महानिदेशक-शिक्षा झरना कमठान ने शनिवार को वायरल खबर का संज्ञान लेते हुए नैनीताल के सीईओ से तीन दिन में जांच रिपोर्ट मांगी है। इस स्कूल में दसवीं कक्षा में एक ही छात्र था और स्कूल में कुल सात शिक्षक हैं।यह छात्र बोर्ड परीक्षा में सभी विषयों में फेल हो गया। कक्षा छह से 10 वीं तक के इस स्कूल में सात ही छात्र हैं। माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ.मुकुल कुमार सती ने बताया कि बोर्ड परीक्षा के रिजल्ट की समीक्षा की जा रही है। खराब परीक्षा परिणाम के लिए जवाबदेही भी तय की जाएगी।

खबर वायरल
‘’शुक्रवार के अंक में ‘अजब: पूरे स्कूल में दसवीं का एक ही छात्र, वो भी सभी विषयों में फेल’ शीर्षक से खबर प्रकाशित की थी। यह खबर सोशल मीडिया में वायरल हो गई।

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भीमताल । Uttarakhand Board Result 2025 :नैनीताल जनपद के ओखलकांडा ब्लॉक में शिक्षा व्यवस्था की एक शर्मनाक तस्वीर सामने आई है। ओखलकांडा ब्लाक में स्थित राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय भद्रकोट ने इस बार उत्तराखंड बोर्ड की 10वीं कक्षा के परिणामों में एक अनचाहा रिकार्ड प्राप्त किया है। जिससे यह स्कूल जिले के साथ ही पूरे प्रदेश में चर्चा का विषय भी बना हुआ है। क्योंकि, इसका रिजल्ट शून्य फीसदी रहा। स्कूल में एकमात्र छात्र ने परीक्षा दी और वह सभी विषयों में फेल हो गया। हैरानी की बात यह है कि इस छात्र को पढ़ाने के लिए विद्यालय में सात शिक्षक तैनात हैं।

ओखलकांडा ब्लाक में स्थित राजकीय उच्चतर माध्यमिक भद्रकोट विद्यालय यह प्रदेश का पहला ऐसा स्कूल बन गया। जहां का रिजल्ट पूरी तरह शून्य रहा। बीते माह 19 अप्रैल को घोषित बोर्ड परिणामों के बाद शिक्षा विभाग की जांच में स्कूल के शून्य फीसदी रिजल्ट की बात सामने आई है।

यह घटना न केवल शिक्षा की गुणवत्ता पर सवाल खड़े करती है, बल्कि उन शिक्षकों की जिम्मेदारी पर भी गंभीर प्रश्नचिन्ह लगाती है, जिन्हें छात्र को बेहतर दिशा देने के लिए रखा गया था। छात्र के प्रदर्शन से शिक्षा विभाग भी हैरान है और अब विभाग ने सभी शिक्षकों से स्पष्टीकरण मांगा है। साथ ही बीईओ स्तर से जांच भी शुरू हो गई है।

बीईओ गजराज सिंह सोन ने कहा, “विभागीय जांच की जा रही है। नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। विद्यालय का परिणाम शून्य प्रतिशत होना अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है।”

यह मामला उस गंभीर सच्चाई को उजागर करता है जो पहाड़ी क्षेत्रों के दूरस्थ स्कूलों में देखने को मिल रही है। पर्याप्त संसाधन और शिक्षक होने के बावजूद परिणाम निराशाजनक हैं। इस पर केवल अफसरशाही नहीं, बल्कि समाज को भी चिंतन करने की आवश्यकता है।

अब सवाल यह है – जब सात शिक्षक एक छात्र को नहीं पढ़ा पाए, तो इस व्यवस्था से सैकड़ों बच्चों का भविष्य कैसे सुरक्षित हो पाएगा?

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