दुखद: पर्यावरणविद् सुंदर लाल बहुगुणा की पत्नी पंचतत्व में हुई विलीन,93 साल की उम्र में ली अंतिम सांस,वन देवी’ बिमला बहुगुणा को श्रद्धांजलि देने पहुंचे सीएम धामी, परिवारजनों को दी सांत्वना।

दुखद: पर्यावरणविद् सुंदर लाल बहुगुणा की पत्नी पंचतत्व में हुई विलीन,93 साल की उम्र में ली अंतिम सांस,वन देवी’ बिमला बहुगुणा को श्रद्धांजलि देने पहुंचे सीएम धामी, परिवारजनों को दी सांत्वना ।

देहरादून ( उत्तराखंड) : जाने माने पर्यावरणविद स्वर्गीय सुंदरलाल बहुगुणा की पत्नी विमला बहुगुणा आज पंचतत्व में विलीन हो गई। कल देहरादून के शास्त्री नगर स्थित आवास पर उनका निधन हो गया था। जिस वक्त उन्होंने अपने प्राण त्यागे उस वक्त उनके साथ उनके बेटे राजीव नयन बहुगुणा साथ थे।

सीएम पुष्कर सिंह धामी ने दी श्रद्धांजलि: बिमला बहुगुणा के निधन पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी शास्त्री नगर स्थित उनके आवास पर पहुंचे और उन्हें श्रद्धांजलि दी। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि पर्यावरण के लिए जो काम सुंदरलाल बहुगुणा और उनके साथ मिलकर उनकी पत्नी बिमला बहुगुणा ने किया है।उसको कभी नहीं भुलाया जा सकता।

पर्यावरण बचाओ आंदोलन में हमेशा उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी रहने वाली उनकी पत्नी आज भले ही इस दुनिया में ना हो लेकिन जितना स्वर्गीय सुंदरलाल बहुगुणा को याद किया जाता है।उतना ही याद उनकी धर्मपत्नी को भी किया जाएगा।मुख्यमंत्री ने उनके आवास पर पहुंचकर परिवार को सांत्वना दी और दिवंगत आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना भी की।

इसके बाद उनका पार्थिव शरीर ऋषिकेश के पूर्णानंद घाट पर ले जाया गया जहां पर परिवार की मौजूदगी में उनका अंतिम संस्कार किया गया। उनको याद करते हुए टिहरी के विधायक किशोर उपाध्याय ने कहा कि स्वर्गीय सुंदरलाल बहुगुणा और उनकी पत्नी ने न केवल देश में बल्कि विदेशों तक प्रकृति के प्रेम की अलख को पहुंचाया है।

7 साल के बेटे के साथ जेल गईं थी बिमला बहुगुणा

उन्होंने कहा ‘वह साल शायद 2009 का था जब जम्मू कश्मीर और अरुणाचल तक वह पर्यावरण बचाओ आंदोलन में मौजूद रहीं और उस वक्त किशोर उपाध्याय खुद उनके साथ मौजूद रहे। उनके पास पर्यावरण को लेकर इतना ज्ञान था जिसकी कोई सीमा नहीं है, हम टिहरी बांध विस्थापितों के लिए लड़ी गई लड़ाई को कैसे भूल सकते हैं. जिसमें दोनों ही लोगों का बड़ा योगदान था। इतना ही नहीं जब उत्तराखंड उत्तर प्रदेश का हिस्सा था तब पहाड़ में शराब के प्रति आंदोलन के दौरान साल 1971 में जब वह जेल गई तो उनके साथ उनका 7 साल का बेटा भी मौजूद था। आंदोलन और संघर्ष के साथ उन्होंने अपना जीवन जिया और आज वह अमर हो गई’।

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