पहाड़ की पीड़ा,कब सुधरेंगे हालात,कंधे पर सिस्टम, आफत में जान,…गांव में नहीं सड़क, ग्रामीणों ने बीमार महिला को पांच किमी डोली से ले जाकर पहुंचाया अस्पताल।
प्रदेश में आज भी कई गांव के लोग सड़क नहीं होने से मरीजों और बुजुर्गों को डोली के सहारे हॉस्पिटल तक पहुंचाने के लिए मजबूर है. गांव में स्वास्थ्य, शिक्षा,सड़क जैसी मूलभूत सुविधा नहीं होने से ग्रामीण पलायन को मजबूर हैं. कुछ ऐसी की तस्वीर बागेश्वर से सामने आई है, जहां मरीजों को डोली के सहारे दो किमी की चढ़ाई पार कर सड़क तक पहुंचाना ग्रामीणों नियति बन गई है. गांव के बच्चों को भी कई किमी चलकर स्कूल तक पहुंचना पड़ता है. स्वास्थ्य की सुविधा तो कोसो दूर हुई हैं।
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250 की आबादी वाला बीथी गांव सड़क और संचार सुविधा से वंचित है। गांव के लिए निर्माणाधीन दूणी-सुकंडा सड़क गांव से पांच किमी पहले तक ही बन सकी है। लोगों को अब भी पैदल चलकर गांव पहुंचना पड़ता है।
विकास के दावों के बीच पहाड़ के कई गांव आज भी वाहन सुविधा से वंचित हैं। आश्वासनों में तो सड़क बन रही है, लेकिन हकीकत में डोली का सहारा लेना पड़ रहा है। कपकाेट के बीथी गांव का भी यही हाल है। गांव की एक महिला के बीमार पड़ने पर उसे ग्रामीण पांच किमी दूर सड़क तक डोली की मदद से लाए। महिला का सीएचसी कपकोट में इलाज चल रहा है।
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250 की आबादी वाला बीथी गांव सड़क और संचार सुविधा से वंचित है। गांव के लिए निर्माणाधीन दूणी-सुकंडा सड़क गांव से पांच किमी पहले तक ही बन सकी है। लोगों को अब भी पैदल चलकर गांव पहुंचना पड़ता है।
रविवार को गांव की बीना देवी (45) को अचानक पेट में तेज दर्द उठा। महिला चलने-फिरने में दिक्कत महसूस कर रही थी, जिसके बाद ग्रामीण मोहन सिंह, लक्ष्मण सिंह, किशन सिंह, सुंदर सिंह ,रोशन सिंह, गिरीश सिंह, नंदन सिंह उन्हें डोली पर बैठाकर पोथिंग मोटर मार्ग तक लाए। जहां से सात किमी दूर वाहन की मदद से उन्हें सीएचसी कपकोट पहुंचाया गया।
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ग्रामीण रोशन गढि़या ने बताया कि सड़क की मांग को लेकर कई बार प्रशासन और जनप्रतिनिधियों को ज्ञापन दिए गए। पूर्व विधायक और दर्जा राज्य मंत्री रह चुके शेर सिंह गढि़या ने लिखित में आश्वासन दिया था। लेकिन सड़क नहीं बन रही है। बीमारों और बुजुर्गों को डोली पर लाने की मजबूरी बनी हुई है।
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Author: uttarakhandlive24
Harrish H Mehraa