हल्द्वानी- “पहाड़ बचूनै लिजी हमन अघिल उन पड़ौल-पहाड़ को बचाने के लिए किया मंथन,प्रदेश के जल जंगल जमीन को लेकर पांचवीं अनुसूची और जनजातीय दर्जा वापसी की मांग हुई पुरजोर।
‘पहाड़ बचूनै लिजी हमन अघिल उन पड़ौल- वरिष्ठ पत्रकार बसंत पांडे।
हल्द्वानी-( नैनीताल ) हल्द्वानी नगर निगम सभागार में विभिन्न संगठनों के अधिवेशन में पहाड़ को बचाने के लिए मंथन किया गया। इस दौरान पांचवीं अनुसूची और जनजातीय दर्जा वापसी की मांग पुरजोर ढंग से उठाई गई।आंदोलन की नई लहर, 22 दिसंबर को दिल्ली में मूल निवासियों की संसद का ऐलान उत्तराखंड के संपूर्ण पर्वतीय क्षेत्र में 5वीं अनुसूची और जनजातीय दर्जा की वापसी की मांग को लेकर आज एक महत्वपूर्ण अधिवेशन का आयोजन हल्द्वानी नगर निगम सभागार में किया गया।
इसमें विभिन्न सामाजिक संगठनों, युवा नेताओं, पत्रकारों, साहित्यकारों और पहाड़ी समुदाय के सदस्यों ने एकजुट होकर अपने अधिकारों के लिए आवाज उठाई, अधिवेशन में मुख्य वक्ता अजय सिंह रावत ने बताया गया कि सन 1972 से पहले उत्तराखंड का पर्वतीय क्षेत्र संविधान की 5वीं अनुसूची के अंतर्गत था।
देश के ट्राइबल क्षेत्र में शेड्यूल्ड डिस्ट्रिक्ट एक्ट, 1874, नॉन रेगुलेशन एरिया एवं बहिष्कृत क्षेत्र घोषित थे, इन्हीं इलाकों के मूलनिवासियों को आज़ादी के बाद ट्राइब स्टेटस और 5 वीं अनुसूचि या 6वीं अनुसूची घोषित किया, उत्तराखंड में यही ट्राइबल कानून लागू थे, लेकिन उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्र को 5वीं अनुसूचि लगाने के बजाय, 1972 में यह, कानून पहाड़ियों से छीन लिया।
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अधिवेशन में बतौर मुख्य वक्ता इतिहासकार अजय सिंह रावत ने कहा कि वर्ष 1972 से पहले उत्तराखंड का पर्वतीय क्षेत्र संविधान की पांचवीं अनुसूची के अंतर्गत था। देश के ट्राइबल क्षेत्र में शेड्यूल्ड डिस्ट्रिक्ट एक्ट 1874, नॉन रेगुलेशन एरिया एवं बहिष्कृत क्षेत्र घोषित थे। इन्हीं इलाकों के मूल निवासियों को आजादी के बाद ट्राइब स्टेटस और पांचवीं अनुसूची या छठीं अनुसूची घोषित किया गया। उत्तराखंड में यही ट्राइबल कानून लागू थे लेकिन पर्वतीय क्षेत्र में पांचवीं अनुसूची लगाने के बजाय 1972 में यह कानून पहाड़ियों से छीन लिया गया।
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पहाड़ी आर्मी के संस्थापक हरीश रावत ने कहा कि पांचवीं अनुसूची लागू होने से जल, जंगल और जमीन बचेगी। बताया कि इन मुद्दों को लेकर 22 दिसंबर को दिल्ली के जंतर-मंतर में मूल निवासी संसद का आयोजन होगा। इसके लिए जनता को एकजुट किया जाएगा। उत्तराखंड युवा एकता मंच के संयोजक पीयूष जोशी ने कहा कि उत्तराखंड की समस्याओं का एकमात्र समाधान 5वीं अनुसूची की वापसी है। उत्तराखंड एकता मंच के निशांत रौथान ने कहा कि उत्तराखंड के 80 फीसदी लोग मूल रूप से खस जनजाति से हैं। यहां का ट्राइबल स्टेटस धीरे-धीरे छीना गया है और इसे वापस लेने से ही उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों को बचाया जा सकता है।
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इस दौरान उत्तराखंड युवा एकता मंच के संयोजक पीयूष जोशी ने कहा कि उत्तराखंड की समस्याओं का एकमात्र समाधान 5 वि अनुसूची है पलायन आयोग की जगह सरकार को जल जंगल जमीन बचाने व पहाड़ खाली होने से चीन व नेपाल की नजरे हमारे पहाड़ी क्षेत्रों पर है व अक्साई चीन की तरह यहां विदेशी ताकतों के हस्तक्षेप को रोकने के लिए एक मात्र समाधान पांचवीं अनुसूची है।
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कार्यक्रम में उत्तराखंड एकता मंच के निशांत रौथान ने कहा कि उत्तराखंड के 80% लोग मूल रूप से खस जनजाति से हैं, उन्होंने बताया कि हमारा ट्राइबल स्टेटस धीरे-धीरे छीना गया है और इसे वापस प्राप्त करने से ही उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों को बचाया जा सकता है।
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उत्तराखंड एकता मंच के राष्ट्रीय कॉर्डिनेटर अनूप बिष्ट ने सभी तथ्यों को पीपीटी के जरिए प्रस्तुत किया और 22 दिसंबर को दिल्ली के जंतर मंतर में होने वाले प्रदर्शन के लिए सभी को आमंत्रित किया।
इस दौरान वरिष्ठ पत्रकार बसंत पांडे ने कुमाऊनी भाषा में पहाड़ में पांचवी अनुसूची को अनिवार्य बताया वह पहाड़ी में अधिवेशन को संबोधित किया।
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अधिवेशन में डॉ श्याम सिंह रावत ने तोडम, कठपतियां से लेकर तमाम रीति रिवाज व परंपराओं पर ध्यान आकर्षित किया व परंपराओं के आधार पर उत्तराखण्डियों को ट्राइबल स्टेटस अनिवार्य रूप से मिलना चाहिए।
कार्यक्रम का समापन बेरोजगार संघ कुमाऊं संयोजक भूपेंद्र कोरंगा ने लड़ना है भाई ये तो लंबी लड़ाई है गीत के साथ किया, कार्यक्रम का संचालन प्रोफेशनल एंकर रिम्पी बिष्ट ने किया।
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मंच के राष्ट्रीय कोऑर्डिनेटर अनूप बिष्ट ने सभी तथ्यों को पीपीटी के जरिए प्रस्तुत किया और प्रदर्शन के लिए सभी को आमंत्रित किया। अधिवेशन में एडवोकेट डीके जोशी, संजय राठौर, बेरोजगार संघ के कुमाऊं संयोजक भूपेंद्र कोरंगा, , डॉ अजय सिंह रावत, कार्यक्रम के कॉर्डिनेटर संजय राठौर, विनीत कांडवाल, शांति जीना, बेरोजगार संघ कुमाऊं संयोजक भूपेंद्र कोरंगा, हेमा कांडवाल, सौरभ भट्ट, कल्पना रावत, योगिता बनौला, तनु बिष्ट, वरिष्ठ पत्रकार बसंत पांडे, डॉ श्याम सिंह रावत, हेमंत पाठक, कमल सुनाल, जी एस बिष्ट, कपिल शाह, कोषाध्यक्ष प्रत्याशी कमल चंद्र पांडेय, रविन्द्र जोशी,मोहन कांडपाल, बृजेश बिष्ट, पंकज बिष्ट, शांति जीना, हेमा कबड़वाल, कल्पना रावत, तन्नू बिष्ट ,डूंगर सिंह, आदि सैकड़ों लोग मौजूद रहे।
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Author: uttarakhandlive24
Harrish H Mehraa