बनबसा–चर्चित दोहरे हत्याकांड में धस्माना अस्पताल के एमडी आशीष धस्माना और ड्राइवर इदरीस को सश्रम आजीवन कारावास ,आखिर जार 10 साल बाद आया फैसला।
हत्यारों के न हाथ कांपे थे: न अंदर बैठा जमीर हिला….. …हैवानियत की सारी हदें पार कर दीं; 10 साल बाद आया फैसला।
चंपावत जिला न्यायालय ने सुनाई सजा, धस्माना पर सात लाख रुपये और इदरीश पर 1.75 लाख रुपये का अर्थदंड भी लगाया, 6 सितंबर 2014 को हुई थी बनबसा के धस्माना अस्पताल के दो कर्मियों की हत्या, अदालत ने 30 मार्च को आरोपी आशीष धस्माना और ड्राइवर इदरीश को दोषी ठहराया था।
चंपावत। बनबसा के नृशंस दोहरे हत्याकांड के दोषियों को सश्रम आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। दोनों दोषियों पर अलग-अलग सात और 1.75 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है। जुर्माना अदा नहीं करने पर अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी। दोषियों ने साल 2014 में अस्पताल में तैनात फार्मासिस्ट और नर्स की नृशंस हत्या कर दी थी।जिला जज की कोर्ट ने अस्पताल के संचालक और उसके ड्राइवर को उम्रकैद की सजा सुनाई है।
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बनबसा के धस्माना अस्पताल के फार्मासिस्ट विजयपाल गंगवार और नर्स निशा हत्याकांड में 10 साल बाद फैसला आया है।जिला एवं सत्र न्यायाधीश कहकशा खान ने दोनों आरोपियों को 302, 34, 201 और 120 बी के तहत सश्रम आजीवन कारावास की सजा सुनाई।अस्पताल के संचालक आशीष धस्माना और ड्राइवर इदरीस अहमद को आजीवन करावास की सजा सुनाई गई है। विजय और निशा के परिजन 10 साल से न्याय की आस लगाए बैठे थे। यह मामला सितंबर 2014 में खूब चर्चित हुआ था। चर्चा इसलिए क्योंकि हत्यारों ने बेरहमी और योजनाबद्ध ढंग से ऐसी जान ली जिसे सुनकर हर किसी की रूह कांप गई थी।
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जिला शासकीय अधिवक्ता विद्याधर जोशी ने बताया कि अदालत ने आशीष धस्माना को आईपीसी की धारा 302 व 34 के तहत सश्रम आजीवन कारावास और छह लाख रुपये का अर्थदंड और आईपीसी की धारा 201 व 120 बी में सात साल की सजा तथा एक लाख रुपये जुर्माना लगाया गया है। जबकि ड्राइवर इदरीश अहमद को को आईपीसी की धारा 302 व 34 के तहत सश्रम आजीवन कारावास और 1.50 लाख रुपये और आईपीसी की धारा 201 व 120 बी में सात साल की सजा व 25 हजार रुपये जुर्माना लगाया गया है। दोनों कसूरवार पहले से ही अल्मोड़ा जेल में हैं।
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इंदिरा नगर इज्जतनगर बरेली निवासी निशा और न्यू सिद्धार्थनगर प्रेमनगर बरेली निवासी विजय बनबसा के धस्माना में साथ काम करते थे। उन्हें कभी आभास नहीं था कि जिस अस्पताल में वह सेवा दे रहे हैं वहां का संचालक इतना क्रूर हो जाएगा कि उन्हें जान तक गंवानी पड़ेगी।
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जब धस्माना पकड़ा गया तो उसने अस्पताल की बदनामी के पीछे एक डॉक्टर, निशा और विजयपाल को जिम्मेदार ठहराया था। वह डॉक्टर को अपने अस्पताल चौपट होने का कारण मानता था। इदरीस ने अपने पैंटल फार्म हाउस में दोनों की हत्या की फिर शवों को बनबसा से करीब 33 किमी दूर नानकसागर डैम के किनारे फेंका था। इतना ही नहीं सिर नानकसागर से छह किमी दूर खकरा नाले में फेंके गए थे।
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सितंबर 2014 की वे तारीखें
08 सितंबर : नानकसागर डैम में महिला और पुरुष की लाश मिलीं थी। बोरे में युवक का धड़ था। दूसरे में दोनों के कटे हाथ थे।
09 सितंबर : घटनास्थल से चार किमी दूर खकरा नाले से युवक-युवती के कटे सिर बरामद किए गए। इन्हें काले रंग की दो पॉलीथिन में फेंका गया था। युवती का मुंडन किया गया था। कान काटे गए थे।
09 सितंबर : लापता लोगों का डाटा कलेक्ट करने के लिए एसओजी समेत चार पुलिस टीमें यूपी के बरेली और पीलीभीत जनपद की खाक छानती रही।
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10 सितंबर: पोस्टमार्टम रिपोर्ट में हैवानियत का पता चला था। धारदार हथियार से सिर और हाथ पैर काटे गए थे। तड़पा-तड़पा कर जान ली गई थी।
12 सितंबर : मृतक युवक का स्केच जारी किया।
17 सितंबर : पुलिस ने इस मामले का खुलासा किया। बरेली से आए परिजनों ने शिनाख्त की। विजयपाल गंगवार के पिता ने नानकमत्ता पुलिस को तहरीर देकर धस्माना नर्सिंग होम के मालिक और स्टाफ की मिलीभगत से एक डॉक्टर पर हत्या का आरोप लगाया। पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज की और नामजद डॉक्टर सहित तीन संदिग्धों से की पूछताछ की।
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23 सितंबर : पुलिस ने आशीष धस्माना और वाहन चालक इरदीस अहमद को गिरफ्तार किया। दोनों ने जुर्म कुबूल कर लिया। बेहोश करने के लिए प्रयुक्त की गई सुई और इंजेक्शन, छुरा और चापड़ भी बरामद किए गए।
ऐसे पकड़ा गया धस्माना
छह तारीख को आशीष धस्माना की लोकेशन बांध के पास मिली। सात को फिर उसकी लोकेश वहीं मिली। आठ को भी वह वहीं घूमता रहा। चूंकि वह आदतन अपराधी नहीं था इसलिए अपराध बोध से परेशान होकर वह टूट गया। पुलिस की पूछताछ में उसने पूरी बात सामने रख दी।
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Author: uttarakhandlive24
Harrish H Mehraa