उत्तराखंड में शिक्षा विभाग में 52 टीचरों पर लटकी जांच की तलवार,52 में से 37 शिक्षक एक ही जनपद में कार्यरत, विभागीय जांच में सामने आया ‘खेल’,फर्जी प्रमाण पत्रों से जुड़ा है मामला।

उत्तराखंड में शिक्षा विभाग में 52 टीचरों पर लटकी जांच की तलवार,52 में से 37 शिक्षक एक ही जनपद में कार्यरत, विभागीय जांच में सामने आया ‘खेल’,फर्जी प्रमाण पत्रों से जुड़ा है मामला।

हाईकोर्ट में योजित जनहित याचिका में आयुक्त दिव्यांगजन द्वारा राज्य चिकित्सा परिषद द्वारा अपात्र 52 शिक्षकों की सूची जांच के लिये उपलब्ध कराई गई।

देहरादून: उत्तराखंड में शिक्षा विभाग के अंतर्गत 52 शिक्षकों पर अब जांच की तलवार लटक रही है. वैसे तो फर्जी प्रमाण पत्र मामले को लेकर काफी पहले ही कई शिक्षक सवालों के घेरे में आ चुके थे, लेकिन मामले के कोर्ट तक पहुंचने के बाद शिक्षा विभाग भी प्रकरण पर गहरी नींद से जाग गया है. मामले में अब फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र बनाकर नौकरी पाने वालों के खिलाफ जांच का दावा किया गया है.

52 टीचरों पर लटकी जांच की तलवार: शिक्षा विभाग में फर्जी प्रमाण पत्रों के जरिए नौकरी पाने के मामले यूं तो पहले भी आते रहे हैं, लेकिन इस बार मामला दिव्यांग जनों के हक से खिलवाड़ करने का है. इस मामले में शिक्षा विभाग पहले ही काफी हद तक यह स्पष्ट कर चुका है कि कई शिक्षकों द्वारा फर्जी तरह से दिव्यांग प्रमाण पत्र बनवाए गए और इसी के आधार पर उन्होंने शिक्षा विभाग में नौकरी पाई।

फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र से नौकरी लेने का है शक: मामला तब सामने आया जब खुद दिव्यांग जन फर्जी प्रमाण पत्र की शिकायतों को लेकर कोर्ट की शरण में पहुंच गए. इस मामले में न्यायालय आयुक्त दिव्यांगजन ने जनहित याचिका के आधार पर शिक्षा विभाग से उन शिक्षकों की सूची मांगी है, जिनके प्रमाण पत्र पूर्व में फर्जी पाए गए थे. खास बात यह है कि इसके बाद जाकर शिक्षा विभाग ने आनन फ़ानन में ऐसे शिक्षकों को 15 दिन के भीतर जवाब देने के लिए नोटिस जारी कर दिया. इस मामले में दिव्यांग जन लगातार ऐसे फर्जी शिक्षकों पर कार्रवाई की मांग करते रहे हैं. लेकिन इसके बावजूद करीब 2 साल बीतने के बाद भी इन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है।

तय नहीं हुई जवादेही: बड़ी बात यह है कि मेडिकल बोर्ड द्वारा ऐसे शिक्षकों को किस तरह प्रमाण पत्र दे दिए गए, इस पर भी अभी कोई जवाब देही तय नहीं हुई है. हालांकि जांच के दौरान यह स्पष्ट हुआ है कि प्रमाण पत्र फर्जी तरीके से बनाए गए।

उत्तराखंड में दिव्यांगता प्रमाण पत्र का दुरुपयोग कर सरकारी नौकरी प्राप्त करने वाले शिक्षकों का मामला गंभीर होता जा रहा है। शिक्षा विभाग की जांच में यह बात सामने आई है कि ऐसे 52 एलटी व प्रवक्ता संवर्ग के शिक्षकों में सबसे अधिक 37 टिहरी जनपद में कार्यरत हैं। इसके अलावा देहरादून में सात, हरिद्वार व पौड़ी में तीन-तीन और उत्तरकाशी जिले में दो शिक्षक शामिल हैं।

इनमें से पांच शिक्षक सेवानिवृत्त हो चुके हैं, जबकि छह लंबे समय से अनुपस्थित चल रहे हैं। बताया गया कि सभी आरोपित शिक्षक वर्ष 1987 से 2019 पूर्व के मध्य राजकीय सेवा में आए और नियुक्ति के दौरान उन्होंने कथित रूप से गलत दिवंगता प्रमाण पत्र प्रस्तुत कर नियुक्ति प्राप्त की।

शिक्षा मंत्री ने कहा सख्त कार्रवाई करेंगे: उधर अब शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत विद्यालयी शिक्षा विभाग के अंतर्गत दिव्यांगता प्रमाण पत्र का गलत लाभ उठाने वाले शिक्षकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की बात कह रहे हैं. उन्होंने कहा कि इसके लिये विभागीय स्तर पर निदेशक माध्यमिक शिक्षा की अध्यक्षता में चार सदस्यीय समिति गठित कर दी गई, जो केस-टू-केस के आधार पर शिक्षकों के दिव्यांगता प्रमाण पत्रों की गहन जांच कर अपनी रिपोर्ट शासन को उपलब्ध करायेगी.

फर्जी प्रमाण पत्र से नौकरी पाने वालों के खिलाफ जांच शुरू: सूबे के विद्यालयी शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत ने बताया कि दिव्यांगता प्रमाण पत्रों का अनुचित लाभ उठाने वाले शिक्षकों के खिलाफ जांच बिठा दी गई है. निदेशक माध्यमिक शिक्षा की अध्यक्षता में गठित चार सदस्यीय समिति केस-टू-केस के आधार पर शिक्षकों के प्रमाण पत्रों की गहन जांच कर अपनी रिपोर्ट शासन को सौंपेगी. जांच रिपोर्ट के आधार पर गलत लाभ लेने वाले शिक्षकों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जायेगी।

माध्यमिक शिक्षा निदेशक डा.मुकुल कुमार सती ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि संबंधित शिक्षकों के सेवा दस्तावेज़ों की गहराई से जांच की जा रही है। विभाग ने सभी जिलों से ऐसे मामलों का ब्यौरा जुटाकर अद्यतन सूची तैयार की है। इससे पहले भी शिक्षा विभाग समय-समय पर इस प्रकरण में कार्रवाई करता रहा है। पुरानी रिपोर्टों में सामने आया था कि कई शिक्षक स्वयं को दिवंगत सरकारी कर्मचारी/ परिजनों का आश्रित बताकर नौकरी लेने में सफल हो गए थे।

माध्यमिक शिक्षा निदेशक डा.मुकुल कुमार सती ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि संबंधित शिक्षकों के सेवा दस्तावेज़ों की गहराई से जांच की जा रही है। विभाग ने सभी जिलों से ऐसे मामलों का ब्यौरा जुटाकर अद्यतन सूची तैयार की है। इससे पहले भी शिक्षा विभाग समय-समय पर इस प्रकरण में कार्रवाई करता रहा है। पुरानी रिपोर्टों में सामने आया था कि कई शिक्षक स्वयं को दिवंगत सरकारी कर्मचारी/ परिजनों का आश्रित बताकर नौकरी लेने में सफल हो गए थे।

 

52 टीचरों की सूची जांच के लिए उपलब्ध कराई गई है: धन सिंह रावत ने बताया कि-

उच्च न्यायालय में योजित जनहित याचिका के क्रम में आयुक्त दिव्यांगजन द्वारा राज्य चिकित्सा परिषद द्वारा अपात्र 52 शिक्षकों की सूची जांच के लिये उपलब्ध कराई गई थी. इनमें 02 प्रधानाध्यापक, 21 प्रवक्ता व 29 सहायक अध्यापक शामिल थे. इन सभी शिक्षकों को विभागीय स्तर पर कारण बताओ नोटिस जारी किया गया. इसके क्रम में 20 प्रवक्ता तथा 9 सहायक अध्यापकों ने अपना जवाब विभाग को उपलब्ध करा दिया है. रावत ने बताया कि गलत तरीके से आरक्षण का लाभ उठाने वाले शिक्षकों व शिक्षणेत्तर कार्मिकों के खिलाफ ठोस कार्रवाई की जायेगी. इसके लिये विभागीय स्तर पर अन्य कार्मिकों के भी प्रमाण पत्रों की पृथक जांच से की जायेगी.
-धन सिंह रावत, विद्यालयी शिक्षा मंत्री, उत्तराखंड-

uttarakhandlive24
Author: uttarakhandlive24

Harrish H Mehraa

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