उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट …हरिद्वार में गंगा जल ‘बी’ श्रेणी का मिला, नहाने के लिए ठीक, पीने योग्य नहीं।
उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड हर महीने गंगा के पानी के नमूना लेकर जांच कराता है। इसी क्रम में पिछले महीने हरिद्वार में पानी की गुणवत्ता की जांच कराई गई थी। इसमें पानी की गुणवत्ता बी श्रेणी में मिला है।
हरिद्वार ( उत्तराखंड) हरिद्वार में गंगा का जल नहाने के लिए उपयुक्त है, लेकिन पीने योग्य नहीं। पिछले महीने गंगा के जल की गुणवत्ता की जांच उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूकेपीसीबी) ने की थी। उसमें पानी की गुणवत्ता बी श्रेणी में आई है। इस श्रेणी में पानी पीने योग्य नहीं माना जाता है।
धार्मिक आस्था और वैज्ञानिक तथ्य
सदियों से गंगाजल को पवित्र माना जाता है और इसका उपयोग धार्मिक कार्यों में होता आया है। स्थानीय पुजारी उज्ज्वल पंडित का मानना है कि गंगाजल में औषधीय गुण होते हैं और यह कई बीमारियों का इलाज करने में सक्षम है।
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प्रदूषण का खतरा
हालांकि, यूकेपीसीबी की रिपोर्ट ने इन धार्मिक मान्यताओं को चुनौती दी है। रिपोर्ट के अनुसार, गंगा के पानी में मानव मल मिलावट के कारण बैक्टीरिया की संख्या बढ़ रही है, जिससे पानी की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है। यूकेपीसीबी के क्षेत्रीय अधिकारी राजेंद्र सिंह ने बताया कि चार मापदंडों के आधार पर गंगा का पानी बी श्रेणी में पाया गया है, जो नहाने के लिए उपयुक्त है लेकिन पीने के लिए नहीं।
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B’कैटगरी में पाया गया पानी
जांच के दौरान नवंबर महीने के लिए गंगा नदी का पानी ‘B’ कैटगरी में पाया गया. नदी के पानी को 5 कैटगरी में बांटा गया था, जिसमें ‘ए’ सबसे कम जहरीला है. इसका मतलब है कि पानी को कीटाणुरहित करने के बाद पीने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है और ‘E’ सबसे जहरीला है।
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क्या बोले प्रदूषण बोर्ड के अधिकारी?
उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी राजेंद्र सिंह ने कहा, ‘केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (Uttarakhand Pollution Control Board) ने पानी की गुणवत्ता को 5 श्रेणियों में बांटा है. चार मापदंडों (पीएच, घुलित ऑक्सीजन, जैविक ऑक्सीजन और कुल कोलीफॉर्म बैक्टीरिया) के आधार पर गंगा की गुणवत्ता ‘B’ श्रेणी में पाई गई है. इसका मतलब है कि गंगा का पानी नहाने के लिए उपयुक्त है.’
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कूड़ा-कचरा और गंदगी के चलते लाख प्रयासों के बावजूद हरिद्वार में गंगाजल पीने योग्य नहीं है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीसीबी) की जांच रिपोर्ट के अनुसार, हाल ही में हरकी पैड़ी समेत चार जगहों से लिए पानी के सैंपल में वाटर क्वालिटी का मानक बी श्रेणी का आया है।
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भीमगोड़ा बैराज से 14 नवंबर की रात गंगा में पानी छोड़ा गया था। इससे पहले गंगा बंदी के दौरान घाटों की सफाई की गई थी। पानी छोड़ने के बाद प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीसीबी) ने हरकी पैड़ी, बिशनपुर कुंडी, बालाकुमारी मंदिर जगजीतपुर और रुड़की में गंगनहर से पानी के सैंपल लिए थे।
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Author: uttarakhandlive24
Harrish H Mehraa