उत्तरकाशी के सिलक्यार में निर्माणाधीन टनल में भू धसाव मामले में सामने आयी निर्माणाधीन कम्पनी की बड़ी लापरवाही।पूर्व में कई बार हुई भू धसाव को किया गया अनदेखा- आपदा सचिव।
उत्तरकाशी के सिलक्यार में निर्माणाधीन टनल में भू धसाव के बाद जिस तरह 40 मजदूर टनल में फंस गए है,और 40 मजदूरों के रेस्क्यू करने में जितना समय लग रहा है उसको लेकर सवाल तो उठ ही रहे है,उससे कई बड़े सवाल टनल का निर्माण कर रही कम्पनी नवयुग पर भी उठ रहे है,अगर कम्पनी लापरवाही न बरती तो 40 मजदूर भू धसाव के बाद भी टनल में फंसते नहीं, क्या कुछ लापरवाही कम्पनी की तरफ से बरती गई है — देखिए कम्पनी की लापरवाही बरतने को लेकर Uttarakhand live24.in की पड़ताल करती रिपार्ट।
उत्तरकाशी के सिलक्यार में भू धसाव की वजह से 40 मजदूर फंसे हुए है,लेकिन 4 दिन गुजरने के बाद भी 40 मजदूरों का रेस्क्यू न किये से जहां कई सावल उठ रहे है,वहीं टनल का निर्माण कर रही कम्पनी नवयुग पर भी कई सवाल लापरवाही बरतने को लेकर उठ रहे है,क्योंकि कम्पनी के द्वारा उन तकनीकों का उपयोग टनल बनाने के लिए सही तरीके से नहीं किया जा रहा था जो जरूरी होती है,जानकारों की माने तो सबसे महत्वपूर्ण तकनीक TBM मशीन का प्रयोग भी टनल बनाने के लिए नहीं किया जा रहा था,जो सबसे जरूरी है,ब्लास्ट के जरिये टनल का निर्माण किए जाने की वजह सामने आई है,जिसकी वजह से टनल के अंदर जो भू धसाव हुआ है वह बड़े स्तर पर हो गया।
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जानकार बताते हैं कि यदि अगर TBM मशीन से टनल की कटिंग होती तो फिर इतनी बड़ी तादाद में भू धसाव न होता,दूसरा अगर यदि टनल के भीतर अलार्म सिस्टम सही तरीके से काम कर रहा होता, तो भू धसाव आने को लेकर अलार्म बज जाता और मजदूर भू धसाव आने से पहले ही बाहर आ जाते। लेकिन बताया जा रहा है कि अलार्म सिस्टम टनल के भीतर काम ही नहीं कर रहा था,कुछ तो यह भी बताते हैं कि अलार्म सिस्टम किसी भी खतरे को लेकर कंपनी के द्वारा लगाया ही नहीं गया था,हालांकि आपदा सचिव कहना है कि अलार्म सिस्टम सही तरीके से काम नहीं किया।
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विशेषज्ञ बताते हैं कि टनल के अंदर हर दिन टनल की सतह की टेस्टिंग की जाती है,कि किसी तरह का कोई खतरा तो नहीं है,अगर कंपनी के द्वारा रोजाना टेस्टिंग टनल के भीतर की जाती तो खतरे को भांपा जा सकता था, ऐसे में कंपनी पर सवाल उठ रहे हैं कि कंपनी के द्वारा रोजाना टेस्टिंग भी नहीं कराई गई वरना खतरे को भांपा जा सकता था। वहीँ टनल में जैसे – जैसे कटिंग होती है,ह्यूम पाइप भी साथ – साथ बिछाई जाती है,जिससे के अगर भू धसाव होता भी है तो श्रमिक ह्यूम पाइप से आसानी से बाहर आ जाते है,जो टनल में उस हिस्से में ह्यूम पाइप नजर नही आया जहां पर भू धसाव हुआ है।
बाइट – डॉ रंजीत सिन्हा, सचिव, आपदा प्रबंधन
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सिलक्यार में निर्माणाधीन टनल में इस बार बड़ा भू धसाव आया है,लेकिन बताया जा रहा है कि इससे पहले भी कई बार टनल के कई हिस्सों में भू धसाव आया,जिससे कम्पनी के द्वारा अनदेखा किया गया,और ना ही कम्पनी के द्वारा इसको लेकर अबगत कराया गया।
बाईट – डॉ रंजीत सिन्हा, सचिव, आपदा प्रबंधन
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कुल मिलाकर देखें तो सिलक्यार टनल में भू धसाव के बाद जिस तरह 40 श्रमिक कई दिन तक फंसने के बाद भी रेस्कयू नही किया गया और रेस्कयू पर सवाल उठ रहे है,उससे ज्यादा गम्भीर सवाल कम्पनी पर उठने चाहिए अगर कम्पनी सही तकनीकों पर काम करती तो 40 मजदूरों के फंसने के बाद खुद ही कम्पनी बचा सकती थी,और अगर अलार्म सिस्टम काम कर रहा होता तो भू धसाव से पहले ही मजदूरों को पता चल जाता,और वह भू धसाव से पहले बाहर आ जाते।
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Author: uttarakhandlive24
Harrish H Mehraa