नैनीताल जिपं चुनाव कथित किडनैपिंग और ओवरराइटिंग मामले में हाईकोर्ट सख्त, पुलिस मुखिया के जवाब से संतुष्ट नहीं हुआ हाईकोर्ट, जांच बदलने पर जताई नाराजगी।
नैनीताल। नैनीताल जिला पंचायत अध्यक्ष व उपाध्यक्ष चुनाव के दौरान हुए बवाल, पांच जिला पंचायत सदस्यों के कथित अपहरण और मतपत्र में ओवरराइटिंग के मामले में उत्तराखंड हाईकोर्ट ने पुलिस मुखिया के जवाब पर असंतोष जताया है। हाईकोर्ट ने स्पष्ट संकेत दिए कि मामले की गंभीरता को देखते हुए सिर्फ जांच अधिकारी बदलने से बात नहीं बनेगी।
सोमवार, 29 दिसंबर को इस मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश जी. नरेंद्र और न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय की खंडपीठ में हुई। यह मामला हाईकोर्ट द्वारा स्वतः संज्ञान लेकर दर्ज की गई जनहित याचिका के तहत सुना जा रहा है।
▶️ पुलिस मुखिया VC के जरिए पेश
पूर्व आदेश के अनुपालन में प्रदेश के पुलिस मुखिया वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से कोर्ट में पेश हुए। उन्होंने कोर्ट को बताया कि इस मामले की जांच कर रहे अधिकारी अरुण मोहन जोशी को किन्हीं कारणों से हटाकर जांच किसी अन्य अधिकारी को सौंपी जा रही है और इसके लिए समय दिया जाए।
हालांकि, हाईकोर्ट इस स्पष्टीकरण से संतुष्ट नहीं हुई और मामले को गंभीर बताते हुए जांच प्रक्रिया पर सवाल उठाए।
▶️ 14 अगस्त 2025 से हाईकोर्ट के संज्ञान में मामला
गौरतलब है कि 14 अगस्त 2025 को हाईकोर्ट ने नैनीताल जिला पंचायत अध्यक्ष व उपाध्यक्ष चुनाव के दौरान जिला पंचायत सदस्यों के कथित अपहरण के मामलों का स्वतः संज्ञान लिया था। इस प्रकरण में कई निर्वाचित सदस्यों ने भी न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है।
इसी मामले में बीडीसी सदस्य पूनम बिष्ट ने अलग से याचिका दायर कर आरोप लगाया है कि जिला पंचायत अध्यक्ष पद के चुनाव में एक मतपत्र में ओवरराइटिंग कर क्रमांक 1 को 2 कर उसे अमान्य घोषित कर दिया गया। याचिका में अध्यक्ष पद के लिए पुनः मतदान कराए जाने की मांग की गई है।
नव-निर्वाचित ग्राम प्रधान के चुनाव को भी हाईकोर्ट में चुनौती
इसी दिन हाईकोर्ट ने अल्मोड़ा जिले की भिकियासैंण तहसील के बुंगीधार गांव के नव-निर्वाचित ग्राम प्रधान के निर्वाचन को चुनौती देने वाली याचिका पर भी सुनवाई की।
▶️ मतदाता सूची में गड़बड़ी के गंभीर आरोप
याचिकाकर्ता मोहिनी देवी ने आरोप लगाया कि ग्राम प्रधान चुनाव में विजयी प्रत्याशी रमेश चंद्र लखचौरा के पक्ष में मतदाता सूची में बड़े पैमाने पर अनियमितताएं की गईं। वर्ष 2019 में गांव की मतदाता सूची में 183 मतदाता थे, जो 2025 में बढ़कर 356 हो गए।
याचिका में यह भी कहा गया कि 62 मतदाताओं के नाम एक से अधिक मतदाता सूचियों में दर्ज हैं। इसके अलावा प्रतिवादी का वास्तविक नाम रमेश चंद्र लखचैरा के बजाय रमेश चंद्र बताया गया है, जो परिवार रजिस्टर और लखनऊ की गोमतीनगर मतदाता सूची से स्पष्ट होता है।
याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि शिकायतों के बावजूद निर्वाचन अधिकारियों ने नामांकन पत्र स्वीकार कर लिया और अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।
▶️ निर्वाचन आयोग से मांगी वस्तुस्थिति
हाईकोर्ट ने इस मामले में राज्य निर्वाचन आयोग से पूरी वस्तुस्थिति स्पष्ट करने को कहा है।
Author: uttarakhandlive24
Harrish H Mehraa





