उत्तरकाशी -पत्रकार राजीव प्रताप मौत मामला: लगातार भ्रष्टाचार को उजागर करने वाले मामलों पर रिपोर्टिंग, कई अनसुलझे सवाल, पत्नी मुस्कान ने की CBI जांच की मांग।

उत्तरकाशी -पत्रकार राजीव प्रताप मौत मामला: लगातार भ्रष्टाचार को उजागर करने वाले मामलों पर रिपोर्टिंग, कई अनसुलझे सवाल, पत्नी मुस्कान ने की CBI जांच की मांग।

राजीव प्रताप IIMC के पूर्व छात्र, डिजिटल पत्रकारिता में सक्रिय थे और उत्तराखंड के स्थानीय मुद्दों पर रिपोर्टिंग कर रहे थे।

18 सितंबर की रात से लापता राजीव का शव 10 दिन बाद जोशियाड़ा बैराज से बरामद हुआ।

भ्रष्टाचार के मामलों पर रिपोर्टिंग करने वाले 36 वर्षीय पत्रकार राजीव प्रताप की मौत कैसे हुई? इस सवाल का जवाब अभी भी नहीं मिला है।

देहरादून: उत्तरकाशी में कार्यरत स्वतंत्र पत्रकार राजीव प्रताप सिंह की मौत को लेकर परिवारजनों के कई अनसुलझे सवाल अभी भी बने हुए हैं।पत्रकार राजीव की पत्नी मुस्कान ने सीबीआई जांच की मांग की है। 18 सितंबर को उत्तरकाशी में कार्यरत स्वतंत्र पत्रकार राजीव प्रताप अचानक लापता हो गए थे। गुमशुदा होने के 10 दिन बाद 28 सितंबर को उनकी शव जोशियाड़ा बैराज से मिला था। पोस्टमॉर्मट रिपोर्ट एक्सीडेंटल डेथ की गवाही दे रही है, लेकिन परिवार के लोगों के मन में कई ऐसे सवाल हैं। जिनका अब तक उत्तर नहीं मिल पाया है।

स्वतंत्र पत्रकार राजीव प्रताप की पत्नी मुस्कान ने बताया कि उनके पति उत्तरकाशी में कार्यरत थे ।और लगातार भ्रष्टाचार को उजागर करने वाले मामलों पर रिपोर्टिंग करते थे। उन्होंने हाल ही में उत्तरकाशी में कुछ ऐसे अस्पतालों पर रिपोर्टिंग की थी। जहां पर व्यवस्थाएं बदहाल थीं. इसके अलावा और भी कई विषयों पर वह लगातार ग्राउंड रिपोर्ट करते रहते थे। लेकिन पिछले एक सप्ताह से वह काफी परेशान चल रहे थे।

पिछले कुछ दिनों से लगातार राजीव को धमकियां मिल रही थीं. हालांकि, परिवार परेशान न हो इसलिए राजीव ने हमको धमकियां देने वालों के बारे में नहीं बताया. उल्टा वो कहते थे कि पत्रकारों को ऐसी धमकियां मिलती रहती हैं.
– मुस्कान, राजीव प्रताप सिंह की पत्नी –

मुस्कान ने राजीव के साथ हुई आखिरी बातचीत के बारे में बताया कि,

18 सितंबर को राजीव से वीडियो कॉल पर बातचीत की थी. इस दौरान वa अपने साथियों के साथ थे. लेट काफी हो चुका था, इसलिए मैंने कहा कि वो समय से उत्तरकाशी में मौजूद अपने कमरे पर चले जाएं. इसके बाद राजीव से कोई बातचीत नहीं हुई. अगले दिन जब राजीव से बातचीत नहीं हुई तो मैंने उन्हीं लोगों से बातचीत की जिनके साथ राजीव आखिरी रात मौजूद थे।

मुस्कान बताती हैं कि, पहले तो उनके साथियों ने मामले में बिल्कुल अनजान होने की बात कही. लेकिन बाद में उनके पति के एक साथी जो कि पुलिसकर्मी है, उन्होंने स्वीकारा कि उनकी गाड़ी लेकर पत्रकार राजीव घर से निकले थे.

मुस्कान के सवाल हैं कि-

राजीव के जो साथी थे, उन्होंने अपनी गाड़ी उनके पति को क्यों दी? जबकि राजीव को ठीक से कार चलानी आती भी नहीं थी. ऐसे में राजीव अपने दोस्त से कार क्यों मांग कर ले गए? इतना ही नहीं, पूरे एक दिन कार वापस न आने पर भी उनके साथी द्वारा किसी तरह की कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई, यह भी एक बड़ा सवाल है.

मुस्कान का कहना है कि अगले दिन जब खोजबीन की गई तो पता लगा कि एक गाड़ी नदी किनारे दुर्घटनाग्रस्त स्थिति में पाई गई है और यह वही गाड़ी थी जिसको लेकर पत्रकार राजीव गए थे।

मुस्कान बताती हैं कि राजीव के दोस्तों की स्थिति बेहद संदिग्ध है और उनके द्वारा राजीव के गुमशुदा होने के दौरान भी कोई विशेष प्रतिक्रिया नहीं आई थी, न ही कोई सहयोग मिला था. मुस्कान ने यह भी सवाल उठाया कि 10 दिन बाद मिले शव की स्थिति से कुछ और ही प्रतीत होता है. बरामद शव एक सप्ताह तक नदी में रहने वाले शव की स्थिति जैसा नहीं है. उन्होंने कहा कि उनके मन में कई ऐसे अनसुलझे और अनुचित सवाल हैं, जिनका जवाब अब तक नहीं मिल पाया है।

CBI जांच की मांग: मुस्कान का कहना है कि उनके पति लगातार जनहित के मुद्दों पर अपनी बात रखते थे और लगातार ऐसे मामलों को उजागर कर उनके कई दुश्मन भी बन रहे थे. ऐसे में इस बात से बिल्कुल भी इनकार नहीं किया जा सकता है कि उनकी मौत के पीछे किसी तरह का कोई षड्यंत्र नहीं हो. उन्होंने सरकार से मांग की है कि इस पूरे मामले की सीबीआई जांच हो और उनकी सरकार से यह अपील है कि इस मामले में यदि कोई दोषी है तो उसको सख्त से सख्त सजा मिलनी चाहिए।

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