उत्तराखंड की राजनीति में विरोध का  नया अध्याय – कांग्रेस विधायकों ने सदन को बनाया ‘धरना स्थल’, बिस्तर संग रात्रि विश्राम की चेतावनी, विधानसभा अध्यक्ष ने जताई नाराज़गी।देखिए वीडियो 📹📹

उत्तराखंड की राजनीति में विरोध का  नया अध्याय – कांग्रेस विधायकों ने सदन को बनाया ‘धरना स्थल’, बिस्तर संग रात्रि विश्राम की चेतावनी, विधानसभा अध्यक्ष ने जताई नाराज़गी।देखिए वीडियो 📹📹

गैरसैंण/देहरादून, ( 19 अगस्त )उत्तराखंड विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान विपक्षी कांग्रेस विधायकों का सरकार के खिलाफ विरोध अब एक नए मोड़ पर पहुंच गया है। विरोध को नया रूप देते हुए कांग्रेस विधायक आज सुबह गैरसैंण स्थित विधानसभा परिसर में बिस्तर लेकर पहुंच गए और ऐलान किया कि वे अब रात्रि विश्राम सदन में ही करेंगे।

1- नैनीताल डीएम का ट्रांसफर
2- एसएसपी का सस्पेंशन
3- फर्जी मुकदमे वापस करने की मांग

मांगों पर अभी भी अड़े हैं विपक्षी विधायक: वहीं सीएम धामी द्वारा नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य और प्रीतम सिंह को फोन कर धरना समाप्त करने की अपील करने के बाद भी विपक्ष अपनी मांगों पर अड़ा हुआ है. उपनेता प्रतिपक्ष भुवन चंद्र कापड़ी ने नया वीडियो जारी कर जानकारी दी कि अभी भी कांग्रेस के विधायक सदन में बने हुए हैं. वीडियो के मुताबिक, विपक्षी विधायक सदन में बिस्तर डालकर अपनी तीनों मांगों में अड़े हुए हैं. सरकार से कोई समझौता नहीं हुआ है।

विपक्ष का यह कदम सरकार की नीतियों और जनहित के मुद्दों पर कथित उदासीनता के खिलाफ उठाया गया है। कांग्रेस का कहना है कि जब तक जनता की समस्याओं पर सरकार ध्यान नहीं देती, उनका विरोध इसी तरह जारी रहेगा।

हालांकि, विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी ने इस प्रकार के प्रदर्शन को “संसदीय गरिमा के खिलाफ” बताया और इस पर गंभीर खेद व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि सदन लोकतांत्रिक चर्चा का मंच है, न कि विरोध प्रदर्शन का स्थान।

विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी ने इस प्रकार के प्रदर्शन को “संसदीय गरिमा के खिलाफ” बताया और इस पर गंभीर खेद व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि सदन लोकतांत्रिक चर्चा का मंच है, न कि विरोध प्रदर्शन का स्थान।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी इस मुद्दे पर सक्रिय नजर आए। उन्होंने कांग्रेस विधायकों से फोन पर बात कर विरोध खत्म करने की अपील की, लेकिन विपक्ष अपने रुख पर अडिग दिखाई दे रहा है।

विपक्ष का आरोप
कांग्रेस विधायकों का आरोप है कि सरकार गैरसैंण सत्र को केवल औपचारिकता बना रही है, और जमीनी मुद्दों पर कोई ठोस चर्चा नहीं हो रही। विधायकों ने साफ किया कि जब तक उनकी बात नहीं सुनी जाती, वे सदन से बाहर नहीं जाएंगे।

सरकार की प्रतिक्रिया
वहीं, सरकार का कहना है कि विपक्ष केवल राजनीतिक स्टंट कर रहा है और संसदीय मर्यादाओं का उल्लंघन कर रहा है। संसदीय कार्यमंत्री ने कांग्रेस से अपील की है कि वे गंभीर चर्चा में हिस्सा लें और सदन की गरिमा बनाए रखें।

अब आगे क्या?
इस अनोखे विरोध ने सत्र की कार्यवाही को प्रभावित किया है और राजनीतिक पारे को चढ़ा दिया है। अब देखना होगा कि सरकार और विपक्ष के बीच कोई समाधान निकलता है या यह गतिरोध और गहराता है।

राजनीतिक गर्मी के बीच गैरसैंण का यह सत्र अब केवल विधायी कामकाज तक सीमित नहीं रह गया, बल्कि विरोध और रणनीतियों का केंद्र बन गया है।

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