Big Breking- यहां जिला पंचायत में हुआ बड़ा एक्शन: दो कनिष्ठ अभियंता वित्तीय घोटाले में हुए बर्खास्त, जानिए पूरा मामला।
अनियमितता के आरोप सिद्ध, दोनों कनिष्ठ अभियंता की सेवा समाप्त।
मैसर्स बुटोला इण्टरप्राइजेज नामक फर्म को अनुचित लाभ पहुंचाया।
देहरादून – उत्तराखंड शासन ने जिला पंचायत पौड़ी गढ़वाल में तदर्थ कनिष्ठ अभियंता के पद पर नियुक्त सुदर्शन सिंह रावत व आलोक रावत की सेवाएं समाप्त कर दी हैं। शासन की जांच में दोनों के खिलाफ कई गंभीर अनियमितताएं और पद के दुरुपयोग के मामले सिद्ध हुए।
पौड़ी जिला पंचायत में तैनात दो तदर्थ कनिष्ठ अभियंताओं — सुदर्शन रावत और आलोक रावत को वित्तीय अनियमितताओं और भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों के चलते सेवा से बर्खास्त कर दिया गया है। पंचायती राज सचिव चंद्रेश कुमार ने दोनों अधिकारियों की सेवा समाप्ति के आदेश जारी किए हैं।
2018 में हुई थी नियुक्ति, अब भ्रष्टाचार में उलझे
जानकारी के अनुसार, दोनों अभियंताओं की नियुक्ति वर्ष 2018 में उपनल के माध्यम से की गई थी। 5 अप्रैल 2021 को शासनादेश के तहत इन्हें तदर्थ आधार पर कनिष्ठ अभियंता नियुक्त किया गया था। लेकिन कार्यकाल के दौरान निर्माण कार्यों, आपूर्ति और सेवाओं से जुड़ी निविदाओं में नियमों की अनदेखी और वित्तीय अनियमितताओं की शिकायतें सामने आईं।
शिकायत से जांच तक का सफर
खांड्यूसैंण निवासी करन रावत और जिला पंचायत सदस्य गौरव रावत ने इन अनियमितताओं की शिकायत गढ़वाल कमिश्नर से लेकर शासन स्तर तक की थी। इसके बाद शासन ने नवंबर 2024 में जांच के आदेश दिए और निदेशक पंचायती राज को जांच अधिकारी नियुक्त किया गया।
जांच अधिकारी द्वारा 11 जून 2025 को सौंपे गए रिपोर्ट में गंभीर वित्तीय गड़बड़ियों की पुष्टि हुई। रिपोर्ट के अनुसार, प्रभारी अभियंता के रूप में सुदर्शन रावत ने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर भवनों व होटलों के नक्शों को खुद ही स्वीकृति दी, जो कि नियमानुसार अपर मुख्य अधिकारी का कार्य होता है।
पत्नी के खाते में 84 लाख से अधिक की राशि
सबसे चौंकाने वाला पहलू यह रहा कि जांच में एक फर्म को भुगतान की गई 1,47,94,346 (एक करोड़ सैंतालिस लाख तीन सौ छियालीस रुपए) की धनराशि में 25 फीसदी हिस्सेदारी सुदर्शन रावत और आलोक रावत की पत्नियों के नाम पर तय की गई। इस फर्म को किए गए भुगतान की जानकारी जिला पंचायत को नहीं दी गई।
विजिलेंस जांच में भी सितंबर 2024 में सुदर्शन रावत की पत्नी के खाते में 84,27,000 रुपए जमा होने की पुष्टि हुई. गंभीर अनियमितताओं और भ्रष्टाचार के आरोप सिद्ध होने पर पंचायती राज सचिव चंद्रेश कुमार ने दोनों की सेवा समाप्त करने के आदेश जारी कर दिए। साथ ही निलंबन अवधि के दौरान देय भत्तों का भुगतान भी रोकने के निर्देश दिए हैं।
निलंबन के बाद बर्खास्तगी, भत्ते भी किए गए स्थगित
गंभीर अनियमितताओं के मद्देनज़र सुदर्शन रावत को अक्टूबर 2024 में निलंबित किया गया था। अब जांच में आरोप सिद्ध होने के बाद दोनों अभियंताओं की सेवाएं समाप्त कर दी गई हैं। साथ ही, निलंबन अवधि के दौरान देय भत्तों के भुगतान को भी रोकने के निर्देश जारी किए गए हैं।
जिला पंचायत पौड़ी में हुए इस भ्रष्टाचार मामले ने पंचायत स्तर पर हो रहे वित्तीय दुरुपयोग की गंभीरता को उजागर किया है। शासन की सख्त कार्रवाई एक संदेश है कि सरकारी धन और पद की जिम्मेदारी के साथ खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।