उत्तराखंड का एनएच-74 घोटाला फिर चर्चाओं में, PCS अधिकारी के ठिकानों पर ED की छापेमारी, 211 करोड़ के घोटाले से जुड़ा है मामला,जानिए कब क्या हुआ और कैसे 2 आईएएस 5 पीसीएस समेत 30 कर्मियों की हुई थी गिरफ्तारी।

उत्तराखंड का एनएच-74 घोटाला फिर चर्चाओं में, PCS अधिकारी के ठिकानों पर ED की छापेमारी, 211 करोड़ के घोटाले से जुड़ा है मामला,जानिए कब क्या हुआ और कैसे 2 आईएएस 5 पीसीएस समेत 30 कर्मियों की हुई थी गिरफ्तारी।

 

ईडी ने बताया कि गैर-कृषि दर का मुआवजा कृषि दर से बहुत अधिक है। केंद्रीय एजेंसी ने इस जांच के तहत 2024 में सिंह और कुछ अन्य के खिलाफ आरोपपत्र भी दायर कर दिया था। ताजा छापेमारी का उद्देश्य मामले में और सबूत जुटाना है।

उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय राजमार्ग 74 के चौड़ीकरण में हुए कथित भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े मामले में गुरुवार को ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) ने देहरादून में उत्तराखंड के एक अधिकारी और अन्य के खिलाफ छापेमारी की। यह मामला साल 2017 का है। यह छापा पीसीएस (प्रांतीय सिविल सेवा) अधिकारी दिनेश प्रताप सिंह के ठिकानों पर मारा गया, जो कि वर्तमान में देहरादून में डोईवाला चीनी मिल के कार्यकारी निदेशक के रूप में तैनात हैं। यह मिल उत्तराखंड सरकार द्वारा संचालित है। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि इस दौरान उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में नौकरशाह से जुड़े कम से कम सात स्थानों पर PMLA (धन शोधन निवारण अधिनियम) के प्रावधानों के तहत छापेमारी की गई।

 

सूत्रों के अनुसार, सिंह ने NH-74 और NH-125 के चौड़ीकरण के लिए अधिग्रहित भूमि के उपयोग को पिछली तारीख में आदेश पारित करके बदल दिया था, जिसके परिणामस्वरूप सरकार को 162.5 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ। यह तब हुआ जब वह भूमि अधिग्रहण के सक्षम प्राधिकारी के रूप में काम कर रहे थे। धन शोधन का यह मामला उत्तराखंड पुलिस द्वारा सिंह, राजस्व अधिकारियों, किसानों और बिचौलियों के खिलाफ 2017 की FIR और उसके बाद चार्जशीट से उपजा है।

इस मामले में सितंबर 2020 में ईडी ने एक बयान जारी करते हुए कहा था, पुलिस ने पाया कि भूमि अधिग्रहण के सक्षम प्राधिकारी की हैसियत से काम कर रहे सिंह और कुछ अन्य लोगों ने सरकारी धन के दुरुपयोग के लिए अन्य लोक सेवकों, किसानों और बिचौलियों के साथ साजिश रची। उन्होंने उत्तर प्रदेश जमींदारी उन्मूलन एवं भूमि सुधार अधिनियम 1950 की धारा 143 के तहत पारित बैकडेट आदेशों के आधार पर गैर-कृषि दर पर मुआवज़ा देकर ऐसा किया।

 

ईडी ने बताया कि गैर-कृषि दर का मुआवजा कृषि दर से बहुत अधिक है। केंद्रीय एजेंसी ने इस जांच के तहत 2024 में सिंह और कुछ अन्य के खिलाफ आरोपपत्र भी दायर कर दिया था। सूत्रों ने बताया कि गुरुवार को हुई ताजा छापेमारी का उद्देश्य मामले में और सबूत जुटाना है। हालांकि छापे में क्या कुछ मिला है, इसका खुलासा फिलहाल नहीं हुआ है।

 

गौरतलब है कि एनएच घोटाला में सितारगंज से हरिद्वार तक 252 किमी दूरी के एनएच-74 के निर्माण के लिए वर्ष 2012-13 में प्रक्रिया शुरू की गई थी। यह काम दो हिस्सों में होना था।एक हिस्सा सितारगंज से काशीपुर तो दूसरा हिस्सा काशीपुर से नगीना होते हुए हरिद्वार का था। वर्ष 2016 में इस घोटाले का पर्दाफाश तब हुआ था जब तत्कालीन मंडलायुक्त डी. सेंथिल पांडियन ने भूमि अधिग्रहण से संबंधित फाइलें तलब की थीं। कृषि भूमि को गैर कृषि दर्शाकर भारी भरकम मुआवजा लेकर सरकार को करोड़ों का चूना लगाया गया है। इसमें भू-स्वामी किसानों से लेकर सफेदपोश नेता व अधिकारी तक सभी शामिल थे।

सरकार ने विशेष जांच दल (एसआईटी) बनाकर जांच शुरू करा दी थी। जांच में सामने आया कि भूमि अधिग्रहण का यह खेल करीब 211 करोड़ का था। मामले में एसआईटी ने पीसीएस अफसर दिनेश प्रताप सिंह सहित कई अन्य पीसीएस अधिकारियों, तहसीलदार, कर्मचारी, बिचौलिए, किसान सहित 22 लोगों की गिरफ्तारी की थी।

 

वर्ष 2017 में कब क्या हुआ

11 मार्च: एडीएम प्रताप शाह की तहरीर पर रुद्रपुर की सिडकुल चौकी में एनएचएआई के प्रोजेक्ट डायरेक्टर, नजीमाबाद और रुद्रपुर एनएचएआई देहरादून क्षेत्रीय कार्यालय के अधिकारी, कर्मचारी, जसपुर, गदरपुर, खटीमा, किच्छा, रुद्रपुर, बाजपुर और सितारगंज के एसडीएम, एसडीएम कार्यालय में तैनात रीडर, पेशकार, तहसीलदार राजस्व निरीक्षक, खतौनी से जुड़े अधिकारियों और कर्मचारियों पर मुकदमा दर्ज।
12 मार्च: एसएलओ, उनके कार्यालय में तैनात कर्मचारियों का नाम रिपोर्ट में दर्ज।
3 जून: जसपुर से निलंबित पेशकार विकास चौहान की गिरफ्तारी।
7 नवंबर: एसआईटी ने निलंबित एसडीएम भगत सिंह फोनिया, संग्रह अमीन अनिल कुमार, तत्कालीन प्रभारी तहसीलदार मदन मोहन पलड़िया, रिटायर्ड तहसीलदार भोले लाल, अनुसेवक रामसमुझ, स्टांप वेंडर जीशान और किसान ओमप्रकाश, चरन सिंह को बंदी बनाया गया।
24 नवंबर: घोटाले के मुख्य आरोपी पीसीएस अधिकारी डीपी सिंह ने एसएसपी के आगे सरेंडर किया, डीपी को जेल भेजा गया।
24 नवंबर: राजस्व अहलमद संजय चौहान, डाटा एंट्री ऑपरेटर अर्पण कुमार गिरफ्तार कर जेल भेजे गए थे।

 

वर्ष 2018 में हुई कार्रवाई

14 जनवरी: एसआईटी ने पीसीएस अफसर अनिल शुक्ला, तहसीलदार मोहन सिंह और किसान अमर सिंह को गिरफ्तार किया।
16 जनवरी: सितारगंज से राजस्व अहलमद संतराम गिरफ्तार।8 फरवरी: एसआईटी ने निलंबित पीसीएस अधिकारी एनएस नगन्याल, चकबंदी अधिकारी अमर सिंह, सहायक चकबंदी अधिकारी गणेश प्रसाद निरंजन को जेल भेजा।
20 मार्च: पुलिस ने गुड़गांव के एक माल से एलाइड इंफ्रा की एमडी प्रिया शर्मा और सुधीर चावला को गिरफ्तार किया।7 जुलाई: बेरीनाग के नायब तहसीलदार रघुवीर सिंह गिरफ्तार कर जेल भेजे गए।
9 जुलाई: निलंबित पीसीएस अधिकारी तीरथपाल गिरफ्तार कर जेल भेजे गए।
10 जुलाई: एसआईटी ने शासन को जांच रिपोर्ट सौंपी।
11 सिंतबर: शासन ने एसआईटी की जांच आख्या पर आईएएस अफसर डा. पंकज कुमार पांडेय और चंद्रेश कुमार यादव को निलंबित कर दिया।

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