सुप्रीम कोर्ट ने भ्रामक विज्ञापन मामले में पतंजलि आयुर्वेद के संस्थापक स्वामी रामदेव और एमडी आचार्य बालकृष्ण के माफीनामे को” दिखावटी “बताते हुए किया अस्वीकार।
नई दिल्ली।सुप्रीम कोर्ट ने भ्रामक विज्ञापन मामले में पतंजलि आयुर्वेद के संस्थापक स्वामी रामदेव और एमडी आचार्य बालकृष्ण ने सुप्रीम कोर्ट में माफी मांगी। कोर्ट ने उनके माफीनामे को अस्वीकार कर दिया। दोनों को फटकार लगाते हुए शीर्ष कोर्ट ने उनके माफीनामे को ‘दिखावटी’ बताया। शीर्ष अदालत ने उनको नए सिरे से हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है।
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जस्टिस हिमा कोहली और अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ पतंजलि द्वारा अपने उत्पादों की प्रभावकारिता को लेकर विज्ञापनों में किए गए बड़े-बड़े दावों पर सुनवाई कर रही थी। पीठ ने कोरोना के दौरान आधुनिक चिकित्सा प्रणाली एलोपैथी को बदनाम करने पर केंद्र की कथित निष्क्रियता पर भी सवाल उठाया। पीठ ने केंद्र से पूछा कि उसने कार्रवाई करने के बजाय अपनी आंखें क्यों मूंदें रखीं?
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जस्टिस हिमा कोहली और अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को नए सिरे से हलफनामा दाखिल करने का निर्देश देते हुए अगली सुनवाई (10 अप्रैल) पर पेश होने का आदेश दिया है। मंगलवार को भी वे कोर्ट में निजी रूप से पेश हुए। जस्टिस कोहली ने रामदेव और बालकृष्ण को फटकार लगाते हुए कहा कि ‘अदालत उनकी माफी पर पूर्ण भरोसा नहीं होने के बावजूद स्वीकार कर रही है। उन्हें चेतावनी भी कि कोर्ट झूठी गवाही देने के बारे में भी संज्ञान लेगी।
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रामदेव बाबा के बॉडीगार्ड ने की मीडिया कर्मियों से बदसलूकी
जानकारी मिल रही है कि सुप्रीम कोर्ट परिसर में बाबा रामदेव के बॉडीगार्ड ने पत्रकारों का साथ बदतमीजी की है. दरअसल जब वह कोर्ट से फटकार सुनकर बाहर निकल रहे थे तो उनको चारों तरफ से मीडिया कर्मियों ने घेर लिया. जब उनसे सवाल किया गया तो उनके बॉडीगार्ड पत्रकारों के कैमरे और मोबाइल छीनने लगें. इसके साथ ही बदतमीजी पर उतर आए. जिसके बाद ये मामला बहुत तेजी से सोशल मीडिया पर फैल रहा है।
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सुप्रीम कोर्ट की कड़ी फटकार_ बाबा रामदेव और पतंजलि फस गए।
सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि के भ्रामक विज्ञापन मामले में कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर ‘आचार्य’ बालकृष्ण और को-फाउंडर रामदेव को एक बार फिर फटकार लगाई है. बीती 19 मार्च को कोर्ट की अवमानना करने पर बालकृष्ण और रामदेव को सुप्रीम कोर्ट में हाजिर होने का निर्देश मिला था।
2 अप्रैल को दोनों कोर्ट में हाजिर भी हुए. बिना शर्त कोर्ट से माफी मांगी. लेकिन सुप्रीम कोर्ट नहीं माना. कोर्ट ने कहा कि वो रामदेव के जवाब से संतुष्ट नहीं है, उनको समय दिया गया था. कोर्ट ने रामदेव से कह दिया कि अगर आपको माफी मांगनी होती तो पहले ही मांग लेते. कोर्ट पतंजलि के हलफनामे से संतुष्ट नजर नहीं आया।
अब कोर्ट ने भारत सरकार के आयूष मंत्रालय और उत्तराखंड सरकार के संपदा विभाग को भी नोटिस जारी किया है. दोनों से हफ्ते भर में जवाब मांगा गया है. 10 अप्रैल को इस मामले में अगली सुनवाई होगी।
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Author: uttarakhandlive24
Harrish H Mehraa