रिटायर्ड अधिकारी से ठगी करने वाले बाप-बेटे रांची से दबोचे, डिजिटल अरेस्ट कर 10 दिन में उड़ाए 1.02 करोड़, एसटीएफ ने पिता-पुत्र को किया गिरफ्तार।
देहरादून/रुद्रपुर। उत्तराखंड एसटीएफ के साइबर थाना कुमाऊँ की बड़ी कार्रवाई में 1.02 करोड़ रुपये से अधिक की साइबर ठगी करने वाले दो शातिर आरोपियों को झारखंड की राजधानी रांची से गिरफ्तार किया गया है। दोनों को बुधवार को न्यायालय में पेश किया गया। जहां से उन्हें न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया गया।वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक एसटीएफ नवनीत सिंह ने बताया कि नैनीताल जिले के खाद्य विभाग से रिटायर्ड अधिकारी को डिजिटल अरेस्ट कर एक करोड़ दो लाख की ठगी करने वाले दो आरोपितों को एसटीएफ ने गिरफ्तार कर लिया है। दोनों आरोपितों से पूछताछ के बाद उन्हें कोर्ट में पेश किया गया। जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया। पूछताछ में आरोपितों ने कई बड़े खुलासे किए। दोनों पर मुंबई, बिहार, झारखंड सहित अन्य स्थानों पर धोखाधड़ी के मामले पंजीकृत हैं।
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक एसटीएफ नवनीत सिंह ने बताया कि नैनीताल जिले के एक पीड़ित ने मार्च 2025 में शिकायत दर्ज कराई थी। आरोपियों ने खुद को टेलीकॉम विभाग का अधिकारी बताकर मोबाइल नंबर बंद करने की धमकी दी और फिर ईडी-सीबीआई का हवाला देते हुए पीड़ित को “डिजिटली अरेस्ट” कर लिया। आरोपियों ने लगातार व्हाट्सएप के जरिए पीड़ित पर दबाव बनाते हुए मात्र 10 दिनों में अलग-अलग खातों में 1.02 करोड़ रुपये ट्रांसफर करा लिए।
मुखानी हल्द्वानी, जिला नैनीताल निवासी हरसिंह अधिकारी खाद्य विभाग से रिटायर्ड हो चुके हैं। मार्च, 2025 में अज्ञात नंबर से काल आई और उन्हें मोबाइल नंबर को बंद होने की बात कहकर खुद को टेलीकाम डिपार्टमेंट का अधिकारी बनकर बात की।बुधवार को राजफाश के दौरान वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, एसटीएफ नवनीत सिंह ने बताया कि आरोपितों ने डरा धमकाकर ईडी और सीबीआई का हवाला देकर उन्हें 10 दिनों तक डिजिटल अरेस्ट रखा। इस बीच अलग-अलग खातों में कुल 1.02 करोड की धनराशि धोखाधड़ी पूर्वक जमा करा ली।
ऐसे दिया अपराध को अंजाम
टेलीकॉम अथॉरिटी बनकर मोबाइल नंबर बंद करने की धमकी।
ईडी-सीबीआई का नाम लेकर पीड़ित को डिजिटली अरेस्ट करना।
कोर्ट में ऑनलाइन सुनवाई का झांसा देकर लगातार व्हाट्सएप पर निगरानी।
रकम ठगकर तुरंत अलग-अलग खातों में ट्रांसफर करना।
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, एसटीएफ के निर्देश पर पर्यवेक्षण अपर पुलिस अधीक्षक स्वप्न किशोर, प्रभारी निरीक्षक एवं विवेचक अरूण कुमार, साईबर क्राईम पुलिस स्टेशन कुमाऊं को जिम्मेदारी सौंपी गई। जिसपर साइबर सेल ने घटना में प्रयुक्त बैंक खातों, रजिस्टर्ड मोबाइल नंबरों, व्हाट्सअप की जानकारी के लिए संबंधित बैंकों, सर्विस प्रदाता कंपनी, मेटा कंपनी से पत्राचाकर कर डेटा प्राप्त किया। प्राप्त डेटा के विश्लेषण से जानकारी में आया कि साइबर अपराधियों ने घटना में पीड़ित को डिजिटली अरेस्ट कर विभिन्न बैंक खातों में धनराशि स्थानांतरित कराई गई।
पड़ताल के दौरान मोबाइल नंबरों और तकनीकी साक्ष्यों के आधार पर अभियुक्त अजय कुमार सिन्हा पुत्र स्व. गिरिश नारायण निवासी शिवपुरी टिकिया टोली गांव थाना सुल्तानगंज पटना बिहार तथा उसका पुत्र सौरभ शेखर की तलाश शुरू कर दी। बैंकिग ट्राजेक्शन, नेट, मोबाईल बैकिंग की आईपी एक्ड्रेस, मोबाईल नंबरों की सीडीआर, ईमेल आईडी, जीमेल आदि पर तकनीकी व मैनुअली कार्य करते हुए झारखण्ड पुलिस की साहयता से रांची झारखंड से गिरफ्तार कर लिया। जिसके बाद न्यायालय में पेश कर अजय कुमार सिन्हा व उसके पुत्र सौरभ शेखर न्यायिक हिरासत में केंद्रीय कारागार भेजा गया। दोनों आरोपितों पर रांची झारखंड में भी इसी प्रकार से एक महिला को डिजीटली अरेस्ट कर 55 लाख रूपये की साईबर धोखाधडी का अभियोग पंजीकृत है।
अपराध का तरीका
आरोपित पीडितों को टेलीकाम अथारिटी का अधिकारी बताकर उनके मोबाईल नंबर बंद होने संबंधी ईडी (प्रवर्तन निदेशालय), सीबीआई का आदेश होने की बात कहकर, आधार कार्ड से फर्जी खाता खुलने तथा ह्यूमन ट्रैफिकिंग की बात कहकर डिजिटली अरेस्ट कर लिया जाता था। जिसके बाद पीडित को बताया जाता था कि कोर्ट की ओर से उसके केस को आनलाइन सुने जाने की अनुमति मिलने की बात कही जाती थी, जिसके लिये पीडितों को व्हाटसप पर ही गाइडलाईन भी भेजी जाती थी तथा प्रोटोकॉल बनाये रखने के लिये बताया जाता था, अभियुक्तो द्वारा पीडितों से डिजिटली अरेस्टिंग के दौरान लगातार व्हाटसप के माध्यम से जुडा रहता था। जिसके लिये प्रत्येक घंटे में पीडित व्हाटसप से जानकारी प्रदान करनी होती थी।
धनराशि अन्य खाते में तत्काल करते थे स्थानांतरित
आरोपित पीडित से धोखाधडीपूर्वक प्राप्त की गयी धनराशि को तत्काल ही अन्य खातों में स्थानांतरित कर दिया जाता था। आरोपित अजय कुमार सिन्हा की ओर से साईबर धोखाधडी के लिए अपने पुत्र सौरभ शेखर के साथ मिलकर आरोपियों ने “महिला एवं ग्रामीण विकास कल्याण समिति” नाम से एक एनजीओ का करंट अकाउंट खुलवाकर फर्जीवाड़ा किया। इस खाते में सिर्फ एक पीड़ित से 14.51 लाख रुपये जमा कराए गए थे।
सात मामले पंजीकृत
दोनों आरोपितों पर झारखंड, महाराष्ट्र, मुंबई, रांची, नैनीताल में दो मामले पंजीकृत हैं।
आरोपी और नेटवर्क
गिरफ्तार आरोपियों की पहचान अजय कुमार सिन्हा (58 वर्ष) और उसके बेटे सौरभ शेखर (28 वर्ष), निवासी पटना, बिहार के रूप में हुई है। पूछताछ में पता चला कि उनके खातों से करोड़ों का लेन-देन हुआ है और देश के विभिन्न राज्यों में इनके खिलाफ सात से अधिक साइबर अपराध के मुकदमे दर्ज हैं। झारखंड, महाराष्ट्र, पुडुचेरी और उत्तराखंड में भी ये गिरोह सक्रिय रहा है।
एसएसपी की अपील
एसएसपी नवनीत सिंह ने लोगों से अपील की है कि वे किसी भी फर्जी कॉल, लिंक या लुभावने ऑफर के झांसे में न आएं। ऑनलाइन जॉब, इन्वेस्टमेंट स्कीम या कस्टमर केयर नंबर गूगल से सर्च करने से पहले पूरी तरह सत्यापन अवश्य करें। किसी भी संदिग्ध वित्तीय लेन-देन की स्थिति में तुरंत साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर 1930 पर संपर्क करें।