देहरादून– पूर्व डीजीपी सिद्धू की बढ़ सकती हैं मुश्किलें, एसआईटी करेगी मुकदमे की जांच, साल के 25 पेड़ कटवाने सहित लगे कई आरोप
पूर्व डीजीपी बीएस सिद्धू ने मुकदमा दर्ज होने के बाद हाईकोर्ट की शरण ली थी। उन्हें गिरफ्तारी पर स्टे मिल गया था। इससे पहले उन्होंने एफआईआर को खत्म करने की गुहार भी लगाई थी। कोर्ट ने उनकी मांग को ठुकरा दिया था। अब एसआईटी गठित होने के बाद फिर से बीएस सिद्धू की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
शासन ने पूर्व डीजीपी बीएस सिद्धू के खिलाफ दर्ज धोखाधड़ी के मुकदमे की जांच के लिए एसआईटी गठित करने के आदेश दिए हैं। सिद्धू पर आरक्षित वन भूमि को धोखाधड़ी से खरीदने और साल प्रजाति के 25 पेड़ कटवाने के आरोप हैं। एसआईटी डीआईजी लॉ एंड ऑर्डर पी रेणुका देवी की अध्यक्षता में होगी और एसपी क्राइम सर्वेश पंवार को विवेचना अधिकारी बनाया गया है। दो अन्य अधिकारियों को भी इसमें शामिल किया जाएगा।
पूर्व डीजीपी बीएस सिद्धू पर उनके कार्यकाल के अंतिम दिनों में भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी के आरोप लगने शुरू हुए थे। इस मामले को भाजपा नेता रविंद्र जुगरान ने कई स्तर पर उठाया था। आरोप थे कि उन्होंने वर्ष 2012 में ओल्ड मसूरी रोड पर वीरगिरवाली स्थित आरक्षित वन क्षेत्र की लगभग नौ बीघा जमीन को धोखाधड़ी से अपने नाम करा लिया था।
वहां खड़े साल प्रजाति के 25 पेड़ों पर भी आरी चलवाई थी। उस वक्त भी सिद्धू के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने के लिए प्रार्थनापत्र दिए गए लेकिन कार्रवाई नहीं हुई। वर्ष 2016 में उनके खिलाफ शासन स्तर पर जांच की गई।जांच के बाद सेवानिवृत्ति से ठीक एक दिन पहले उन्हें चार्जशीट सौंप दी गई। मुकदमा फिर भी दर्ज नहीं हुआ। धोखाधड़ी के 10 साल बाद अक्तूबर 2022 में फिर से यह मामला उठा और प्रभागीय वनाधिकारी मसूरी ने राजपुर थाने में सिद्धू के खिलाफ एफआईआर के लिए प्रार्थनापत्र दिया।
3 अक्तूबर 2022 को सिद्धू और इस षडयंत्र में शामिल अन्य लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी, आपराधिक षडयंत्र और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया गया। लेकिन, अब तक कोई कार्रवाई इस मुकदमे में नहीं हो पाई। ऐसे में भाजपा नेता रविंद्र जुगरान ने एसआईटी गठित करने के लिए मुख्यमंत्री को प्रार्थनापत्र दिया था। इसी क्रम में विशेष सचिव उत्तराखंड शासन रिद्धिम अग्रवाल ने मामले में डीआईजी कानून व्यवस्था पी रेणुका देवी की अध्यक्षता में एसआईअी गठित करने के आदेश जारी किए हैं। इसमें देहरादून के एसपी क्राइम सर्वेश पंवार को बतौर विवेचना अधिकारी शामिल किया गया है। इसके अलावा दो और अन्य रैंक के अधिकारियों-कर्मचारियों को शामिल करने के आदेश दिए गए हैं। इनका शासन ने जल्द से जल्द विवरण एसआईटी अध्यक्ष से मांगा है।
गिरफ्तारी पर स्टे मिल गया था सिद्धू को
मुकदमा दर्ज होने के बाद पूर्व डीजीपी बीएस सिद्धू ने हाईकोर्ट की शरण ली थी। उन्हें गिरफ्तारी पर स्टे मिल गया था। हालांकि, इससे पहले उन्होंने एफआईआर को खत्म करने की गुहार भी लगाई थी। मगर, कोर्ट ने उनकी मांग को ठुकरा दिया था। अब एसआईटी गठित होने के बाद फिर से बीएस सिद्धू की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। देखने वाली बात यह होगी कि एसआईटी इस मामले की तह तक जाती है या फिर पूर्व के विवेचना अधिकारियों की तरह ही समय बिताएगी।
दूसरी एजेंसी से जांच कराने की ठुकराई थी मांग
इस मामले की जांच तत्कालीन सीओ मसूरी को सौंपी गई थी। उन्होंने पूछताछ के लिए कई नोटिस भी जारी किए थे लेकिन कोई आरोपी पूछताछ के लिए नहीं गया था। ऐसे में सीओ ने पुलिस मुख्यालय और शासन को लिखा था कि इस मामले की जांच किसी अन्य एजेंसी से कराई जाए। लेकिन, मुख्यालय और शासन दोनों ने ही इसके औचित्य पर सवाल उठाते हुए पुलिस की मांग खारिज कर दी थी।
Author: uttarakhandlive24
Harrish H Mehraa