देहरादून : उत्तराखंड देश का पहला राज्य बनने जा रहा है।प्रदेश की धामी सरकार देश में पहला यूनिफॉर्म सिविल कोड का कानून लाने जा रही है। 30 जून से पहले सेवानिवृत्त न्यायाधीश रंजना देसाई की अध्यक्षता वाली कमेटी इसका पूरा ड्राफ्ट सरकार को सौंप देगी।
- आखिरकार देश के पहले यूनिफॉर्म सिविल कोड (उत्तराखंड) का ब्लूप्रिंट कैसा हैं।इसको जानने के लिए सभी उत्सुकत है।
धामी सरकार का यूनिफॉर्म सिविल कोड का होने वाला कानून
धामी सरकार को जनता से मिले करीब 2 लाख 31 हज़ार सुझावों में से इन सुझावों पर लगी अंतिम मुहर।
पूरे देश में यूनिफार्म सिविल कोड का टेम्पलेट बनेगा उत्तराखण्ड का UCC (यूनिफॉर्म सिविल कोड)…
1—- पॉलीगैमी या बहुविवाह पर रोक लगेगी।
2—-लड़कियों की शादी की आयु बढ़ाई जाएगी ताकि वे विवाह से पहले ग्रेजुएट हो सकें।
3—- लिव इन रिलेशनशिप का डिक्लेरेशन जरूरी होगा। माता पिता को सूचना जाएगी।
4—- उत्तराधिकार में लड़कियों को लड़कों के बराबर का हिस्सा मिलेगा।
5 —- एडॉप्शन सभी के लिए allow होगा। मुस्लिम महिलाओं को भी मिलेगा गोद लेने का अधिकार। गोद लेने की प्रक्रिया आसान की जाएगी।
6–हलाला और इद्दत पर रोक होगी।
7– शादी का अनिवार्य रजिस्ट्रेशन होगा। बगैर रजिस्ट्रेशन किसी भी सरकारी सुविधा का लाभ नही मिलेगा।
8–– पति-पत्नी दोनो को तलाक के समान आधार उपलब्ध होंगे। तलाक का जो ग्राउंड पति के लिए लागू होगा, वही पत्री के लिए भी लागू होगा।
9–नौकरीशुदा बेटे की मौत पर पत्री को मिलने वाले मुआवजे में वृद्ध माता-पिता के भरण पोषण की भी जिम्मेदारी। अगर पत्नी पुर्नविवाह करती है तो पति की मौत पर मिलने वाले कंपेंशेसन में माता पिता का भी हिस्सा होगा।
10– मेंटेनेंस– अगर पत्नी की मौत हो जाती है और उसके माता पिता का कोई सहारा न हो, तो उनके भरण पोषण की जिम्मेदारी पति की
11- गार्जियनशिप– बच्चे के अनाथ होने की सूरत में गार्जियनशिप की प्रक्रिया को आसान किया जाएगा।
12- पति-पत्नी के झगड़े की सूरत में बच्चों की कस्टडी उनके ग्रैंड पैरेंट्स को दी जा सकती है।
13–जनसंख्या नियंत्रण की बात। Uniformity in the number of children, one can have.
कमेटी की चीफ ने क्या कहा?
उत्तराखंड के यूसीसी पर दिल्ली में रहने वाले उत्तराखंड के लोगों की राय जानने के लिए एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम में यूसीसी का ड्राफ्ट तैयार करने के लिए धामी सरकार की तरफ से बनाई गई एक्सपर्ट कमेटी को लीड कर रही सुप्रीम कोर्ट की पूर्व न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई भी शामिल हुई थीं. उन्होने इस दौरान कहा कि यूसीसी सामाजिक ताने-बाने को मजबूत करेगा. इसके साथ ही ये आर्थिक, सामाजिक और धार्मिक भेदभाव से लड़ने में भी मददगार होगा।
नई राजनीति के केंद्र में उत्तराखंड
लॉ कमीशन के बुधवार (14 जून) को यूसीसी पर लोगों और मान्यता प्राप्त धार्मिक संगठनों के सदस्यों सहित विभिन्न हितधारकों के विचार और सुझाव मांगने पर कांग्रेस, टीएमसी और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने सरकार पर निशाना साधा और इसे आगामी लोकसभा चुनाव में मुद्दों से भटकाने का प्रयास बताया।
Author: uttarakhandlive24
Harrish H Mehraa