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देहरादून। देशऔर विदेश के 373 कैडेट्स अफसर बनकर अपनी सेनाओं की मुख्य धारा में जुड़ गए। इनमें 331 अफसर भारतीय सेना को मिले।

देहरादून

देश सेवा के लिए जेन्टलमैन कैडेट्स अधिकारी बनकर तैयार है। 10 जून को थल सेना प्रमुख मनोज पांडे की मौजूदगी में 373 जेन्टलमैन कैडेट्स आईएमए से पासआउट हुए। जिसमें 7 मित्र देशों के 42 जेंटलमैन कैडेट भी बतौर अधिकारी अपने-अपने देश की सेना का हिस्सा बने है।

भारतीय सैन्य अकादमी में आयोजित पासिंग आउट परेड कई मायनों में खास है। पिछले 91 साल में 64 हजार से ज्यादा जेन्टलमैन कैड्टस अकेडमी से पासआउट हो चुके है। वहीं इस बार 373 कैडेट्स सैन्य अधिकारी बने है। जिनमें 7 मित्र देशों के 42 जेन्टलमैन कैडेट्स भी शामिल है।

एक अक्तूबर 1932 को अस्तित्व में आये भारतीय सैन्य अकादमी ने पिछले 91 सालो में 64 हजार 489 जेंटलमैन कैडेटस को अधिकारी बनाकर तैयार किया है, जिसमें 36 मित्र देशों के 2 हजार 843 कैडेट्स भी शामिल रहे है। इसबार की पासिंग आउट परेड में बतौर रिव्यूइंग ऑफिसर थल सेना प्रमुख मनोज पांडे ने परेड की सलामी ली है।

वहीं खास बात यह है की पासिंग आउट परेड में इस बार घोड़ा-बग्घी का प्रयोग नहीं किया गया है। दरअसल अब तक परेड के निरीक्षण अधिकारी चार घोड़ों वाली बग्घी, जिसे पटियाला कोच भी कहा जाता है उसी में बैठकर परेड मैदान में पहुंचते थे। पटियाला के पूर्व महाराज ने यह बग्घी 1969 में आइएमए को सौंपी थी। इसके अलावा जयपुर के पूर्व महाराज की ओर से दी गई जयपुर कोच, विक्टोरिया कोच और कमान्डेंट्स फ्लैग कोच भी चलन में रहे है,  लेकिन, अब रक्षा मंत्रालय के आदेश के बाद भारतीय सेना ने ब्रिटिशकाल की प्रथाओं और परम्पराओं को हटाने का फैसला लिया है जिसमें  बग्घी, पाइप बैंड हटा दिये गये है, ऐसे में इसबार की पासिंग आउट परेड कई मायनों में खास रही है।

 


भारत देश की सेवा करने का सपना देखने वाले हर युवा का सपना होता है आईएमए से पास आउट होना। वहीं जिसका नतीजा है की हर साल सैंकड़ो की संख्या में युवा भारतीय सेना का हिस्सा बन रहे है। कोई परिवार से प्रेरणा लेकर सेना में आया है तो किसी ने प्राइवेट नौकरी को छोड़ है। वहीं किसी ने खेती किसानी के बीच पलकर देश सेवा को चूना है।
आज की पासिंग आउट परेड में देश को मिले युवा सैन्य अधिकारियों में कई ऐसे जांबाज युवा भी हैं जिनका परिवार मध्यमवर्गीय है और कई कठिनाइयों का सामना करते हुए उन्होंने देश सेना का जो सपना देखा था आज वह पूरा भी हुआ है परिजनों को आज अपने उस लाल पर नाज भी है जिन्होंने उनके सपने पूरे किए हैं और इस देश की रक्षा करने का प्रण लिया है ।

 


परेड से पहले परिसर में सेना और बाहर पुलिस की कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई है। अकादमी के ऐतिहासिक चेटवुड भवन के सामने ड्रिल स्क्वायर पर सुबह छह बजे परेड शुरू हुई। परेड के बाद पीपिंग सेरेमनी आयोजित की गई। इसके बाद देश और विदेश के 373 कैडेट्स अफसर बनकर अपनी सेनाओं की मुख्य धारा में जुड़ गए। इनमें 331 अफसर भारतीय सेना को मिले।

इनमें डायरेक्ट एंट्री वाले 55 कैडेट्स शामिल हैं। जबकि, एक्स एनडीए 204 और एक्स एससी 40 कैडेट्स पास आउट हुए। 32 कैडेट्स टीजीसी कोर्स के हैं। आईएमए की स्थापना के बाद से अब तक यहां से 64862 देशी एवं विदेशी कैडेट्स पास आउट हो चुके हैं। वहीं, आईएमए के नाम अब तक 2885 विदेशी कैडेट्स को ट्रेनिंग देने का गौरव जुड़ गया है।

 

इस बार भी उत्तर प्रदेश हर बार की तरह सबसे ज्यादा कैडेट्स देने वाला राज्य बना है। उत्तर प्रदेश के 63 कैडेट्स पासआउट होकर अफसर बनेंगे। जबकि, उत्तराखंड इस बार पहली बार की तुलना में दो पायदान पीछे खिसक गया है। पिछले साल जून की परेड में उत्तराखंड के कैडेट्स की संख्या 33 थी। जो इस बार घटकर 25 रह गई है। लेकिन, आबादी के लिहाज से देखें तो इस बार भी कैडेट्स देने वालों में उत्तराखंड अव्वल है। इस साल सिक्किम, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, लद्दाख, अरुणाचल प्रदेश, अंडमान निकोबार से एक भी कैडेट आईएमए से पास आउट नहीं होगा। जबकि, त्रिपुरा, आंध्र प्रदेश, असम, चंडीगढ़, गोवा, मणिपुर, ओडिसा व पुडुचेरी से एक-एक कैडेट भारतीय सेना का हिस्सा बनेगा।

देखिए किस राज्य को कितने मिले कैडेट्स

1 उत्तर प्रदेश 63
2 बिहार 33
3 हरियाणा 32
4 महाराष्ट्र 26
5 उत्तराखंड 25
6 पंजाब 23
7 हिमाचल प्रदेश 17
8 राजस्थान 19
9 मध्य प्रदेश 19
10 दिल्ली 12
11 कर्नाटक 11
12 झारखंड 8
13 तमिलनाडु 8
14 जम्मू कश्मीर 6
15 छत्तीसगढ़ 5
16 केरल 5
17 तेलंगाना 3
18 पश्चिम बंगाल 3
19 गुजरात 2
20 नेपाल मूल (भारतीय सेना) 2

स्वॉर्ड ऑफ ऑनर/ सिल्वर मेडल : लेफ्टिनेंट मिहिर बैनर्जी
गोल्ड मेडल : लेफ्टिनेंट अभिमन्यु सिंह
ब्रोंज मेडल : लेफ्टिनेंट कमल प्रीत सिंह,

uttarakhandlive24
Author: uttarakhandlive24

Harrish H Mehraa

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